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जीएसटी के तहत लाया जा सकता है पेट्रोल-डीजल, टैक्स नहीं होगा कम:

21 June 2018 | 12.01 PM

नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की चौतरफा मांग के बीच यह संकेत दिया गया है कि इस मुद्दे पर आम सहमति बनती है तो ईंधन पर जीएसटी किस तरह वसूला जाएगा। हालांकि, यह फ़ॉर्म्युला पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाए जाने पर कीमतों में भारी कमी की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में सर्वाधिक 28 फीसदी वाले स्लैब में रखा जाएगा और राज्य सरकारें इस पर लोकल सेल्स टैक्स या वैट भी लगाएंगी।
28 फीसदी जीएसटी और वैट को मिलाकर टैक्स मौजूदा दर के बराबर हो जाएगा। अभी केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट वसूल करती हैं।


पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाए जाने से पहले सरकार को यह तय करना है कि क्या वह 20 हजार करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट छोड़ने को तैयार है, जो पेट्रोल डीजल को जीएसटी के बाहर रखे जाने की वजह से उसकी जेब में आ रहा है। जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था।


जीएसटी क्रियान्वयन से करीब से जुड़े अधिकारी ने नाम जाहिर ना करने की शर्त पर बताया, 'दुनिया में कहीं भी पेट्रोल-डीजल पर शुद्ध रूप से जीएसटी लागू नहीं है, इसलिए भारत में भी यह जीएसटी और वैट का मिश्रण होगा।'
उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाए जाने का समय राजनीतिक स्तर पर तय होगा, केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर यह फैसला करेंगी।


इस समय केंद्र 1 लीटर पेट्रोल पर 19.48 रुपये और डीजल पर 15.33 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूल रहा है। इसके ऊपर राज्य वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगाते हैं, जो अंडमान निकोबार में सबसे कम 6 फीसदी (सेल्स टैक्स) है और मुंबई में पेट्रोल पर सर्वाधिक 39.12 फीसदी है। तेलंगाना डीजल पर सर्वाधिक 26 फीसदी वैट वसूल कर रहा है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 फीसदी और डीजल पर 17.24 फीसदी वैट है। पेट्रोल पर कुल 45-50 फीसदी और डीजल पर 5-40 फीसदी टैक्स लगता है।


अधिकारी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर अभी सर्वाधिक टैक्स दर से अधिक वसूली हो रही है और यदि इस पर केवल 28 फीसदी जीएसटी लगता है तो केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व में कमी आएगी।


उन्होंने आगे कहा, 'केंद्र के पास राज्य सरकारों के राजस्व में आने वाली कमी को पूरा करने का पैसा नहीं है। इसलिए समाधान यह है कि इसे सबसे ऊंचे स्लैब में रखने के अलावा राज्य सरकारों को यह ध्यान रखते हुए वैट वसूलने की अनुमति दी जा सकती है कि कुल टैक्स मौजूदा दर से अधिक ना हो।'

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