1 July 2017 | 1.04 PM
अब टैक्स चोरी नहीं कर पाएंगे कारोबारी, GST से ऐसे कस गई है नकेल:-
1 जुलाई की सुबह. शनिवार का दिन. देश के कारोबार में काली कमाई करने वाले व्यापारियों की शनि की महादशा की शुरुआत. 1 जुलाई से देश में काले कारोबार बंद करने की शुरुआत हो रही है. जीएसटी लॉन्च होते ही केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को अधिक राजस्व मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
संसद के केन्द्रीय हॉल में जीएसटी का घंटा बजाकर देश में काला कारोबार करने वाले लोगों को आखिरी चेतावनी जारी कर दी गई है. चेतावनी में कहा गया है कि अब देश में काला कारोबार कर सरकार के राजस्व की चोरी करने वालों की खैर नहीं है.दरअसल, संसद में जीएसटी लॉन्च के वक्त बताया गया कि देश में महज 85 लाख कारोबारी टैक्स अदा करते हैं. यानी 125 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 1 फीसदी से भी कम लोग कारोबार पर टैक्स देते हैं. ऐसा इसलिए कि भारत एक ऐसा देश है जहां लोग टैक्स बचाने, छिपाने और चुराने के लिए दुनियाभर में कुख्यात हैं.
देश में टैक्स चोरी और काले कारोबार के चलते अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की सॉवरेन रेटिंग बेहद कम है. इसके चलते विदेशी निवेशक जहां भारत का रुख करने से कतराते हैं वहीं मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों को बड़े निवेश का इंतजार रहता है.
गौरतलब है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसिया दुनियाभर के देशों की आर्थिक और राजनीतिक स्थित के आधार पर उसे क्रेडिट रेटिंग देती हैं. वैश्विक निवेशक इस रेटिंग के आधार पर अपना निवेश किसी देश में करने के लिए तैयार होते हैं. 2017 के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और अच्छे निवेश ठिकानों की सूची में भारत की स्थिति यह चार्ट बयान करती है.
GST से कैसे रुकेगी काला बाजारी?
भारत में लागू जीएसटी के प्रावधान की सबसे खास बात यह है कि यहां कारोबार का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है. इसे प्रभावी ढंग से करने के लिए जीएसटी में टैक्स क्रेडिट व्यवस्था बनाई गई है.
इसके तहत कारोबारी को अपने प्रोडक्ट अथवा सेवा के इनवॉयस को प्रति माह जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस इनवॉयस को कारोबारियों के सप्लायर और वेंडर के आंकड़ों से मिलाने का काम जीएसटी नेटवर्क में लगा सॉफ्टवेयर करेगा. और यह मिलान सही पाए जाने पर कारोबारी को टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलेगा.
इस नियम के चलते देश में कारोबारियों को काले कारोबार से बाहर निकलने के लिए सिर्फ रजिस्टर्ड सप्लायर और वेंडर का सहारा लेना होगा. ये सप्लायर और वेंडर भी रजिस्टर्ड होने के साथ ही 20 लाख रुपये के टर्नओवर से अधिक होने पर जीएसटी के दायरे में होंगे. वहीं कारोबारियों को टैक्स क्रेडिट का फायदा लेने के लिए सिर्फ और सिर्फ रजिस्टर्ड सप्लायर और वेंडर के साथ काम करने की मजबूरी होगी नहीं तो उनके सामने ग्राहक गंवाने की चुनौती बनी रहेगी.
गौरतलब है कि इस कानून को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने जीएसटी में जेल का प्रावधान भी किया है. इसके तहत यदि कोई कारोबारी गलत ढंग से कारोबार करता है या मुनाफाखोरी में लिप्त पाया जाता है तो उसे 5 साल की कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है. लिहाजा, अब देखना ये है कि कितनी जल्दी देश में काले कारोबार को बंद किया जा सकेगा और सभी कारोबारियों को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा.