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छोटे निवेशकों ने दिखाई समझदारी महंगे इंश्योरेंस IPO से दूर रहकर, जानिए कैसे…

9 November 2017 | 2.13 PM

मुंबई : कहा जाता है कि शेयर बाजार में निवेश करने में छोटे निवेशक आमतौर पर गलती करते हैं, लेकिन इंश्योरेंस कंपनियों के हालिया आईपीओ को लेकर उन्होंने समझदारी दिखाई है। वे इनसे दूर रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंजों पर इन कंपनियों की लिस्टिंग भी कमजोर रही है। उसकी वजह यह है कि जिस वैल्यूएशन पर आईपीओ लाए गए, वह बहुत अधिक था। इसलिए निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।


पिछले कुछ महीनों में चार बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंजों पर हुई। इनमें एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस और जीआईसी इश्यू प्राइस से नीचे ट्रेड कर रहे हैं। आईसीआईसीआई लोंबार्ड ऑफर प्राइस से 2 पर्सेंट ऊपर ट्रेड कर रहा है, जबकि न्यू इंडिया एश्योरेंस जल्द ही लिस्ट होने वाली है। माना जा रहा है कि इसकी भी शेयर बाजार में कमजोर शुरुआत होगी।


इन चारों कंपनियों ने आईपीओ से 35,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। बैंकरों का कहना है कि इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स और खासतौर पर एलआईसी की दिलचस्पी के चलते ये इश्यू पूरी तरह सब्सक्राइब हुए। इनमें रिटेल और अमीर निवेशकों के लिए जो कोटा रखा गया था, वह पूरी तरह सब्सक्राइब नहीं हुआ। एनालिस्टों का कहना है कि ये आईपीओ महंगे थे और लोगों के पास इंश्योरेंस बिजनेस की अधिक जानकारी भी नहीं है। इसलिए छोटे निवेशकों और एचएनआई ने इसमें अधिक दिलचस्पी नहीं ली।


मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर रामदेव अग्रवाल ने बताया, 'इंश्योरेंस बिजनेस को समझना आसान नहीं है। इसलिए शायद रिटेल और एचएनआई की तरफ से इन आईपीओ में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखी। इसकी एक वजह इनका ऊंचा वैल्यूएशन भी था।' न्यू इंडिया एश्योरेंस में एचएनआई कोटा सिर्फ 12 पर्सेंट सब्सक्राइब हुआ, जबकि रिटेल इनवेस्टर्स का कोटा 11 पर्सेंट सब्सक्राइब हुआ। जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन का रिटेल और एचएनआई हिस्सा क्रमश: 0.6 गुना और 0.22 गुना सब्सक्राइब हुआ। एसबीआई लाइफ के आईपीओ में रिटेल और एचएनआई सेगमेंट क्रमश: 0.8 गुना और 0.64 गुना सब्सक्राइब हुआ।


ब्रोकरों ने बताया कि आमतौर पर नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां आईपीओ में निवेश के लिए अमीर लोगों को कर्ज देती हैं। उन्होंने इन इश्यूज की फंडिंग में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस बारे में कोटक इनवेस्टमेंट बैंकिंग के सीनियर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर वी जयशंकर ने बताया, 'ये बड़े आईपीओ थे। इसलिए एनबीएफसी ने इनमें निवेश के लिए कर्ज नहीं दिया। निवेशकों को यह भी पता नहीं है कि इंश्योरेंस कंपनियों का वैल्यूएशन किस तरह निकाला जाए। ऐसी कंपनियां पहली बार शेयर बाजार में आ रही हैं।' उन्होंने बताया, 'आईसीआईसीआई लोंबार्ड और एसबीआई लाइफ की कमजोर लिस्टिंग के चलते भी सेंटीमेंट पर बुरा असर पड़ा।' आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ सितंबर 2016 में स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट हुई थी। वह शेयर बाजार में आने वाली पहली इंश्योरेंस कंपनी थी। अभी इसके शेयर इश्यू प्राइस से 16 पर्सेंट ऊपर ट्रेड कर रहे हैं। हालांकि, पिछले साल लिस्टिंग के पहले दो महीने में शेयर में 18 पर्सेंट की गिरावट आई थी।


प्रभुदास लीलाधर की एनालिस्ट विधि शाह ने बताया, 'जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को अभी ऑपरेटिंग प्रॉफिट नहीं हो रहा है। वे इनवेस्टमेंट इनकम की वजह से मुनाफे में हैं। ऐसी सूरत में 40 के पीई पर आईपीओ लाना ठीक नहीं है।'

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