11 January 2020 | 12.23 PM
इस साल क्या आपने शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंडों से अच्छा कैपिटल गेंस हासिल किया है? अगर हां तो टैक्स का बोझ घटाने के लिए कैपिटल गेंस का कुछ हिस्सा दोबारा निवेश कर देना चाहिए.
पिछले वित्ते वर्ष में इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स को बहाल कर दिया गया था. अब इक्विटी से किसी भी वित्त् वर्ष में हासिल हुए एक लाख रुपये से ज्यादा के गेंस पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
कई छोटे निवेशक अमूमन इस लिमिट को पार नहीं कर पाते हैं. लेकिन, कुछ साल में यह रकम काफी ज्यादा हो सकती है. उदाहरण के लिए अगर आप इक्विटी फंडों में हर महीने 15000 रुपये निवेश कर रहे हों तो 12 फीसदी सालाना रिटर्न रेट पर भी तीन साल में ही टैक्सेबल कैपिटल गेंस का मामला बना जाएगा. बड़ा इक्विटी पोर्टफोलियो बना चुके निवेशकों को इंक्रीमेंटल गेन भी हुआ होगा.
कैसे गेंस को बढ़ने से रोकें?
गेंस का आकार बहुत बड़ा होने से बचने के लिए जानकार कुछ मुनाफावसूली करने और उस रकम को दोबारा निवेश कर देने की सलाह देते हैं. इस तरह आप अपनी इक्विटी होल्डिंग्स का एक हिस्सा बेचकर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस बुक करेंगे और फिर उन्हीं शेयरों या म्यूचुअल फंड यूनिटों को दोबारा खरीद लेंगे.
मान लेते हैं कि आपने पहली जनवरी 2019 को 80 रुपये के भाव पर किसी कंपनी के 1000 शेयर खरीदे थे. 3 जनवरी 2020 को उसका भाव चढ़कर 130 रुपये हो गया था. ऐसी सूरत में आपने एक साल का होल्डिंग पीरियड पूरा होने के साथ 50,000 रुपये का लॉन्ग टर्म गेन हासिल किया है.
कैपिटल गेंस का गणित अगर आप ये शेयर तुरंत बेच दें और कुछ ही दिनों में वापस खरीद लें तो आपकी एक्विजिशन प्राइस और डेट नए परचेज प्राइस और दोबारा खरीद की तारीख पर रीसेट हो जाएगी.
असल में इस बीच शेयर प्राइस में उतार-चढ़ाव भी होगा, लेकिन आसानी के लिए मान लेते हैं कि नया परचेज प्राइस 130 रुपये ही है. अब अगर वह शेयर अगले 12 महीनों में चढ़कर 200 रुपये पर पहुंच जाए तो शेयरों को बेचने पर आपका गेन केवल 70,000 रुपये का होगा और यह एक लाख रुपये की सीमा से कम ही रहेगा.
दूसरी ओर अगर आपने गेन को लगातार दूसरे साल भी बढ़ने दिया होता तो आपका गेन कुल एक लाख 20 हजार रुपये हो जाता. इसमें से 20,000 रुपये पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता.
टैक्स का रखें ध्यान टैक्सपैनर के सह-संस्थाकपक और सीएफओ सुधीर कौशिक ने कहा, ''एक लाख रुपये की सीमा तक प्रॉफिट बुकिंग पर विचार करें क्योंकि इससे लॉन्ग टर्म में टैक्स एफिशिएंसी बढ़ती है.''
साल गुजरने के साथ कैपिटल गेंस बढ़ सकता है बाद में बहुत ज्या दा टैक्सी देने से बचने के लिए नियमित रूप से कुछ मुनाफावसूली करते रहें हाईलाइट किए गए आंकड़े अर्जित गेंस पर टैक्सेाबिलिटी को दिखाते हैं.
लॉस को भी भुना लें
कैपिटल गेंस को ऑफसेट करने के लिए लॉस बुक करें
म्यूचुअल फंड में अगर आप सिप के जरिए निवेश कर रहे हों तो वहां भी यही रणनीति अपनाई जा सकती है. अगर आपने सालभर पहले सिप शुरू किया हो तो अब यूनिटें रिडीम करना शुरू करें. उस रकम को उसी या दूसरे फंड में दोबारा निवेश कर दें.
इससे खरीद मूल्य नया हो जाएगा और आपका कैपिटल गेन एक लाख रुपये की टैक्स फ्री सीमा से आगे नहीं जाएगा. हालांकि, अगर आप यूनिटें भुनाकर वह रकम दोबारा निवेश नहीं करेंगे तो पूरी कसरत बेकार हो जाएगी.
गेंस को निवेश न करना
गलत अर्जित गेंस को निवेश नहीं करना आपके एसेट अलोकेशन को हिला सकता है. लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन में बाधा डाल सकता है. इक्विरस कैपिटल के सीईओ (वेल्थ मैनेजमेंट) अंकुर माहेश्वरी ने कहा, ''टैक्स बचाने के लिए मुनाफावसूली का फायदा तभी है जब इसके साथ एसेट एलोकेशन बनाए रखा जाए. अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने के लिए यह काम करना चाहिए.'' निवेशकों को यूनिटें बेचते समय एग्जिट लोड का ध्यान रखना चाहिए.
टैक्स लॉस को भुनाने पर भी करें विचार
चतुर निवेशक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस को ऑफसेट करने के लिए टैक्स लॉस को भुनाने पर भी विचार कर सकते हैं. इसके तहत अभी लॉस में चल रहीं होल्डिंग्स को बेचकर किसी दूसरे इंस्ट्रू मेंट से हासिल गेन को ऑफसेट किया जाता है. इससे टैक्स देनदारी घट जाती है.
इसके चलते पूरे साल के लिए आपका कैपिटल गेन एक लाख रुपये से नीचे आ सकता है. हो सकता है कि कोई टैक्स देनदारी ही न बने. मान लेते हैं कि आपने कुछ शेयर या किसी फंड की यूनिटें इस वित्त वर्ष में बेचीं जिनसे आपको 1,40,000 रुपये का गेन हुआ. इसमें 40,000 रुपये पर टैक्स लगेगा.
लॉस का कैरी फॉरवर्ड
अब मान लेते हैं कि आपने पिछले साल जनवरी में किसी कंपनी के 1000 शेयर 80 रुपये के भाव पर खरीदे थे और अब वे 30 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं. अगर आप ये शेयर अब बेचें तो इन पर आपको 50,000 रुपये का लॉन्ग टर्म लॉस होगा.
इससे साल के लिए आपका कुल कैपिटल गेंस घटकर 90,000 रुपये पर आ जाएगा. इस तरह आपको साल के लिए कोई कैपिटल गेंस टैक्स नहीं देना होगा. अगर आप उसी साल में पूरे कैपिटल लॉस को सेट-ऑफ नहीं कर पा रहे हों तो आप इस लॉस को आठ असेसमेंट इयर्स तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं.
अन्य मौके
जो निवेशक लॉन्ग टर्म लॉस के साथ दूसरे लॉन्ग टर्म गेंस ऑफसेट करना चाहते हों, उन्हें अपने पोर्टफोलियो में ऐसे कई मौके मिल सकते हैं. जिन्होंने 31 जनवरी 2018 के पहले यूनिटें या शेयर खरीदे हों, उनके पास इस मोर्चे पर काफी कुछ होगा.
टैक्स अथॉरिटीज ने कैपिटल गेंस की 'ग्रैंडफादरिंग' के लिए यही तारीख चुनी थी. इस नियम के तहत सरकार ने गेंस की गणना में लागत तय करने के लिए किसी शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट की प्राइस की तुलना 31 जनवरी 2018 के स्तर या असल परचेज प्राइस (जो भी ज्यादा हो) से करने का निर्णय किया था।
कैसे होगा टैक्स का कैलकुलेशन?
उदाहरण के लिए अगर किसी शेयर को 2017 में 400 रुपये पर खरीदा गया हो और जनवरी 2019 में 800 रुपये पर बेचा गया हो, लेकिन शेयर 31 जनवरी 2018 को 600 रुपये पर बंद हुआ हो तो टैक्स की गणना के लिए गेन 400 रुपये के बजाय 200 रुपये ही माना जाएगा.
हालांकि, सेल प्राइस अगर 500 रुपये हो तो आप 31 जनवरी 2018 के 600 रुपये के भाव के अगेंस्ट लॉस बुक नहीं कर सकते क्योंकि असल खरीद मूल्य 31 जनवरी 2018 के प्राइस से कम है. इस मामले में आप लॉस तभी बुक कर सकते हैं, जब सेल प्राइस 400 रुपये के परचेज प्राइस से कम हो.