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प्राइवेट सेक्टर में पेंशन में आई बढ़ोतरी : सुप्रीम कोर्ट

23 November. 2017 | 3.01 PM

नई दिल्ली:


प्रवीण कोहली हरियाणा टूरिजम कॉर्पोरेशन से रिटायर्ड हैं। अपने 37 साल के करियर में उन्हें अपने वेतन में कभी भी उतनी अच्छी बढ़त नहीं मिली, जितनी रिटायर होने के चार साल बाद पेंशन में मिली। 1 नवंबर को कोहली की पेंशन कई गुना बढ़कर 2,372 रुपये से 30,592 रुपये हो गई।


यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2016 एक आदेश के बाद आया, जिसमें कोर्ट ने ईपीएफओ (एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन) को एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) के तहत 12 याचिकाकर्ताओं की पेंशन रिवाइज करने को कहा था।


पेंशन स्कीम के 5 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। प्राइवेट सेक्टर में सभी एंप्लॉयी अपनी बेसिक सैलरी का 12 पर्सेंट और महंगाई भत्ता ईपीएफ में जमा करता है। इसके बाद उतनी ही रकम एंप्लॉयर भी जमा करता है। एंप्लॉयर के फंड से 8.33 पर्सेंट ईपीएस के लिए जाता है। जब लोग नौकरी छोड़ने के बाद ईपीएफ निकालते हैं तो उन्हें ईपीएस नहीं दिया जाता है। इसका भुगतान सेवा निवृत्ति के बाद ही होता है।


ईपीएस योगदान पर एक सीमा भी है। वर्तमान में वेतन (बेसिक + डीए) पर सीमा 15,000 रुपये प्रति माह है। इसलिए कोई भी 15 हजार रुपये का अधिकतम 8.33 पर्सेंट ही ईपीएस के लिए जमा कर सकता है, जो 1250 रुपये बैठता है।


जुलाई 2001 से सितंबर 2014 के बीच, ईपीएस योगदान की सीमा 6,500 रुपये थी। ऐसे में ईपीएस के लिए अधिकतम 541.4 रुपये का ही योगदान हो सकता है। वहीं 2001 से पहले यह सीमा 5000 रुपये थी, जिसके मुताबिक योगदान 416.5 रुपये ही हो सकता था।


अब सवाल उठता है कि कोहली की पेंशन अचानक 30 हजार रुपये से ज्यादा कैसे हो गई। इसके पीछे काफी संघर्ष भी है, जिसमें उन्होंने ईपीएस के लिए एक महत्वपूर्ण संशोधन का हवाला दिया। 2005 में मीडिया रिपोर्टों में, कई निजी ईपीएफ फंड ट्रस्टी और कर्मचारियों ने ईपीएफओ से संपर्क किया और ईपीएस योगदान पर सीमा को हटाने की मांग की और इसे पूरे वेतन पर लागू करने को कहा। ईपीएफओ ने मांग खारिज करते हुए कहा कि प्रतिक्रिया 1996 के संशोधन के छह महीने के भीतर आनी चाहिए थी।


इसके बाद ईपीएफओ के खिलाफ कई हाई कोर्ट में केस दायर किए गए। 2016 तक एक हाई कोर्ट को छोड़कर ज्यादातर सभी हाई कोर्ट ने ईपीएफओ के खिलाफ फैसला दिया और कहा कि छह महीने की समयसीमा मनमानी थी और कर्मचारियों को अनुमति दी जानी चाहिए कि वे जब चाहें अपना पेंशन अंशदान बढ़ा सकें।


इसके बाद केस सुप्रीम कोर्ट में गया। दो सुनवाई के बाद केस कर्मचारियों के पक्ष में आया। इसके बाद ईपीएफओ को सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को लागू करने में एक साल का समय लगा। इसके बाद नवंबर 2017 से कोहली को ज्यादा पेंशन मिलने लगी।


अपनी पेंशन को 2,372 रुपये से 30,592 रुपये कराने के लिए कोहली को 15.37 रुपये का भुगतान करना पड़ा। यह वह रकम थी जो कोहली अपने पूरे वेतन पर ईपीएस योगदान के लिए भुगतान करना चाहते थे, लेकिन उन्हें पेंशन की एरियर के रूप में 13.23 लाख रुपये भी मिले। ऐसे में महज 2.14 लाख रुपये भुगतान करने से कोहली को अपनी पेंशन कई गुना करने का मौका मिला।


ऐसे में ईपीएफओ के सभी 5 करोड़ सदस्य अब उच्च पेंशन के पात्र हैं। इसमें उन सभी लोगों को शामिल किया गया है, जो 1 सितंबर, 2014 से पहले ईपीएफओमें शामिल हुए थे। इस तारीख को ही ईपीएस ने 15,000 रुपये की कैप लगाई थी।

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