18 August 2017 | 11.09 AM
देश की दूसरी सबसे बड़ी IT कंपनी इंफोसिस के CEO-MD पद से विशाल सिक्का ने इस्तीफा दे दिया है. विशाल की जगह प्रवीण राव को अंतरिम CEO-MD बनाया गया है. क्या था विवाद ?
इंफोसिस के इस विवाद की जड़ में पूर्व चीफ फाइनेंनशियल ऑफिसर राजीव बंसल को दिया गया हर्जाना भत्ता है. बंसल को कंपनी ने 24 महीने की सैलरी कंपनी छोड़ते वक्त दी थी. इस रकम पर सेबी ने सवाल उठाया था जिसके बाद नारायण मूर्ति समेत अन्य फाउंडर्स ने विशाल सिक्का समेत कुछ शीर्ष अधिकारियों को कंपनी से मिल रही सैलरी और हर्जाने पर सवाल खड़ा कर इंफोसिस बोर्ड के सामने सवाल खड़ा कर दिया था.
इंफोसिस के विवाद पर भारत पर असर
इंफोसिस के मौजूदा बोर्ड और फाउंडर्स में यह विवाद ऐसे वक्त में देखने को मिल रहा है जब देश का पूरा सॉफ्टवेयर सर्विस सेक्टर मंदी के संकेत दे रहा है. वहीं अमेरिका में इमीग्रेशन नीति में संभावित बदलाव के खतरे देश की आईटी कंपनियों के सामने है. जानकारों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से यदि भारतीय कंपनियां अमेरिका में पर्याप्त वर्कर्स नहीं भेज पाती तो वहां सर्विस देना भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगी. वहीं सिक्का के कार्यकाल में इंफोसिस ने कंपनी की निर्भरता ऑटोमेशन और आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस पर बढ़ा दी है क्योंकि उसे क्लाइंट द्वारा खर्चों में कमी की उम्मीद है.
इससे पहले फाउंडर्स और कंपनी बोर्ड के विवाद को आगे बढ़ाते हुए इंफोसिस ने कहा था कि उसने नारायण मूर्ति और अन्य फाउंडर्स से संवाद के लिए लॉ फर्म की सेवाएं ली है जिससे फाउंडर्स और कंपनी के बीच सभी संवाद पूरी पारदर्शिता के साथ सामने रखे जा सकें. बहरहाल, अब मूर्ति के बयान से साफ था कि उन्होंने बोर्ड और फाउंडर्स के बीच मची जंग को शांत करने की कवायद की थी.