25 August 2018 | 12.39 PM
सुप्रीम कोर्ट अब से कुछ ही दिनों में आधार की अनिवार्यता पर अपना अंतिम फैसला सुनाने जा रही है. लेकिन इससे पहले दुनिया के सबसे बड़े बायोमेट्रिक डेटाबेस को संचालित कर रही संस्था यूनीक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधार नंबर प्रणाली की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए फेशियल रिकग्नीशन को अनिवार्य करने का फैसला लिया है.
फेशियल रिकग्नीशन को अनिवार्य करने से अब जिन सेवाओं के लिए आधार की अनिवार्यता हैं मसलन बैंकिंग, मोबाइल ऑपरेटर और सरकारी योजनाओं का लाभ के लिए अब आधार ऑथेंटिकेशन कराने के लिए फेशियल रिकग्नीशन कराना होगा. हालांकि अभी तक UIDAI के पास मौजूद आधार डेटा में किसी नागरिक का फेशियल रिकग्नीशन डेटा मौजूद नहीं है.
UIDAI के मुताबिक अब केवाईसी कराते वक्त फोटो देने के साथ-साथ आधार ऑथेंटिकेशन के लिए अब ऑन-स्पॉट फोटो भी खींची जाएगी. यूआईडीएआई ने दावा किया है कि फेशियल रिकग्नीशन से मौजूदा ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया को और दुरुस्त किया जा सकेगा. फिलहाल आधार ऑथेंटिकेशन के लिए आंख की पुतली (आइरिस ऑथेंटिकेशन) और उंगली के निशान (फिंगरप्रिंटऑथेंटिकेशन) और मोबाइल फोन के जरिए ओटीपी ऑथेंटिफिकेशन की प्रक्रिया की जाती है.
गौरतलब है कि इस प्रक्रिया को यूआईडीएआई द्वारा 17 अगस्त,2018 को जारी किए गए सर्कुलर के आधार पर किया जा रहा है.
UIDAI के मुताबिक इससे आधार कार्यक्रम को अधिक समावेशी बनाया जा सकेगा. इस कदम से उन लोगों का आधार ऑथेंटिफिकेशन आसान हो जाएगा जिन्हें फिंगरप्रिंट के जरिए आधार वेरिफिकेशन में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. गौरतलब है कि देश में बुजुर्ग जनसंख्या के साथ-साथ ज्यादातर मजदूरों का फिंगरप्रिंट के जरिए ऑथेंटिफिकेशन कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
UIDAI ने कहा है कि इस नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को धीरे-धीरे व्यवस्था में शामिल किया जाएगा. लिहाजा, माना जा रहा है कि इस आदेश के जरिए UIDAI अब देश में नागरिकों का फेशियल रिकग्नीशन डेटा एकत्र करेगी जिससे इसे प्रयोग में लाया जा सके.
केंद्र सरकार के मुताबिक देश में सभी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को निर्देश जारी कर दिया गया है कि वह फेशियल रिकग्नीशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जल्द से जल्द आधार वेरिफिकेशन के लिए शुरू कर दें. टेलिकॉम प्रोवाइडर्स को अल्टिमेटम भी दिया गया है कि 15 सितंबर, 2018 तक वह कम से कम अपने कुल मासिक ट्रांजैक्शन का 10 फीसदी ऑथेंटिफिकेशन फेशियल रिकग्नीशन के जरिए कराएं नहीं तो प्रति ट्रांजैक्शन उनसे एक न्यूनतम चार्ज वसूला जाएगा.
सर्कुलर के जरिए यह भी चेतावनी दी गई है कि इस नियम का पालन न करना आधार एक्ट 2016 के तहत अपराध है और इसके तहत दोषी पाए जाने पर जेल और जुर्माने अथवा दोनों की सजा दी जाएगी. ऐसी स्थिति में सवाल खड़ा होता है कि फिलहाल बुजुर्ग जनसंख्या और लेबर वर्ग के लिए शुरू की जा रही इस फेशियल रिकग्नीशन व्यवस्था को पूरे देश में लागू करने के लिए क्या एक बार फिर UIDAI को सभी नागरिकों का सैंपल लेने के लिए कतार में खड़ा करना होगा? क्योंकि जबतक UIDAI के पास यह सैंपल मौजूद नहीं है वह फेशियल रिकग्नीशन के जरिए ऑथेंटिकेशन के काम को कैसे प्रभावी करेगी.