24 May 2018 | 1.13 PM
नई दिल्ली: मोदीकेयर से मशहूर हो रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) के तहत देश में विभिन्न बीमारियों के इलाज के खर्चे तय करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। इसके अंतर्गत कोरोनरी बायपास, घुटना प्रत्यारोपण और सी-सेक्शन आदि की लागत केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के तहत तय कीमतों से 15-20 प्रतिशत कम आएगी। सीजीएचएस में सरकारी कर्मियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएचपीएस के तहत 1,354 मेडिकल पैकेज की लिस्ट तैयार की है। इनमें हृदय रोग, नेत्र रोग, शिशु रोग, मूत्र रोग और ऑन्कॉलजी जैसी 23 स्पेशलटीज शामिल हैं। मसलन, वर्टेब्रल एंजियोप्लास्टी की लागत 80,000 रुपये तय की गई है जिसमें एक स्टेंट लगाने की जरूरत हो जबकि सिजेरियन सेक्शन के लिए 9,000 रुपये तय किए गए हैं।
इस लिस्ट में बच्चों की सर्जरी के साथ-साथ कैंसर एवं मानसिक बीमारियों के इलाज के अलग-अलग पैकेज भी शामिल हैं।
योजना के तहत दिल्ली के किसी भी प्रतिष्ठित प्राइवेट हॉस्पिटल में एंजियोप्लास्टी की लागत 1.5 से 2 लाख रुपये, सी-सेक्शन की करीब 1.5 लाख रुपये और संपूर्ण घुटना प्रत्यारोपण की लागत करीब 3.5 लाख रुपये ही आएगी। एनएचपीएस की यह रेट लिस्ट प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के लिए टेंडर डॉक्युमेंट का एक मॉडल है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसकी समीक्षा की है।
नीति आयोग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सलाह पर तैयार इस दस्तावेज में सरकारी लाभ पाने का दावा करने के लिए अस्पताल में कम-से-कम कितने दिनों तक भर्ती रहने की आवश्यकता होगी और अप्रूवल के लिए सर्जरी से पहले और बाद की जांच की जरूरत की भी विस्तार से चर्चा है। इस दस्तावेज पर राज्य सरकारों से टिप्पणियां मांगी गई हैं।
आयुष्मान भारत के सीईओ इंदू भूषण ने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत विभिन्न इलाज की दरें तय करने के लिए सीजीएचएस और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत तय दरों का उपयोग रेफरेंस पॉइंट के तौर पर किया गया है। उन्होंने कहा, 'हालांकि नई स्कीम के तहत सीजीएचएस के मुकाबले 15.20 प्रतिशत कम दरें तय की गई हैं।' कम लागत के कारण मरीज जरूरत के मुताबिक ज्यादा-से-ज्यादा जांच और इलाज करवा पाएंगे या इलाज के लिए परिवार के अन्य सदस्यों का भी पंजीकरण करवा सकेंगे।
चिकित्सा जगत के विशेषज्ञ इलाज के खर्चों में बड़ी कमी की उम्मीद कर रहे हैं। उनका अनुमान है कि इससे नया प्राइसिंग स्टैंडर्ड सेट होगा जिससे स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं पर आम नागरिकों के लिए इलाज की दरें घटाने का दबाव बढ़ेगा।