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मोदी सरकार ने बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा वालों को कोई राहत नहीं दी:

22 February 2018 | 11.13 AM

नई दिल्ली: मोदी सरकार के आख़िरी पूर्ण बजट में मिडिल क्लास और नौकरी पेशा वर्ग को कोई ख़ास रियायत नहीं दी गई. 2.5 लाख के इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. ऊपर से स्वास्थ्य और शिक्षा सेस को 3% से 4% कर अतिरिक्त टैक्स का बोझ डाला गया. हालांकि 40000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन देकर थोड़ी राहत ज़रूर दी गई है. वहीं मेडिकल खर्च पर छूट की सीमा 15,000 से बढ़ाकर 40,000 कर दी गई है. हालांकि बुज़ुर्गों को फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है उनकी बचत में 50,000 तक के ब्याज़ पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.

वहीं बजट में किसानों के लिए बड़ी राहत का ऐलान किया गया है. रबी के बाद अब ख़रीफ़ फ़सलों के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना पैसा देने का एलान किया है. किसानों को क़र्ज़ के लिए 11 लाख करोड़ का फ़ंड बनाने की बात कही गई है. साथ ही 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का संकल्प दोहराया गया है. अब पशुपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड देने का ऐलान किया गया है.


बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का भी ऐलान किया. जिसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों यानी क़रीब 50 करोड़ लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की हालत में 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि नई स्वास्थ्य योजना का प्रीमियम प्रति परिवार 1100 रुपये पड़ेगा. वहीं टीबी के मरीज़ों के लिए हर महीने 500 रुपये देने का ऐलान किया गया है.


बजट में तीन संसदीय क्षेत्र पर एक मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बात है. बजट में मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल पर 2 रुपये की एक्साइज़ ड्यूटी घटाने का एलान कर आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान ला दी... लेकिन ये मुस्कान थोड़ी ही देर बाद छीन ली गई.... तुरंत पेट्रोल-डीज़ल पर 8 रुपये प्रति लीटर का रोड सेस लागू कर दिया... सरकार के इस फ़ैसले के बाद एक्साइज़ ड्यूटी में कटौती के बावजूद पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम नहीं हुए.


मोदी सरकार के आख़िरी बजट से मिडिल क्लास और नौकरीपेशा वर्ग के साथ-साथ भारतीय मज़दूर संघ भी निराश है... आरएसएस के सहयोगी संगठन ने बजट को निराशाजनक बताते हुए आज देशव्यापी प्रदर्शन का एलान किया है... भारतीय मज़दूर संघ का कहना है कि बजट में मज़दूरों और नौकरीपेशा वर्ग का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया है। न तो इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किए गए हैं और न ही मज़दूरों के हित में कोई बड़ी घोषणा की गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कर्मचारियों के लिए भी सरकार सिर्फ मायूसी लेकर आई है।

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