27 April. 2018 | 11.47 PM
नई दिल्ली: स्कूल वैन चालकों की लापरवाही मासूमों की जान पर भारी पड़ रही है, लेकिन इसकी तरफ सरकार व पुलिस किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। स्कूली बसों की कमी व परिवहन शुल्क महंगा होने की वजह से निजी वैन लेना अभिभावकों की मजबूरी है। वैन चालक इसी मजबूरी का फायदा उठाकर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाकर बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
पुलिस अक्सर चालकों का चालान करती है
यातायात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि वैन में रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अधिकतम नौ बच्चों को बैठा सकते हैं, लेकिन चालक नियम का उल्लंघन कर 20 से अधिक बच्चों को जानवरों की तरह ठूस कर बैठाते हैं। यातायात पुलिस का कहना है कि क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर पुलिस अक्सर चालकों का चालान करती है, लेकिन रजिस्ट्रेशन एक्ट में महज 2000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान होने से उसी समय चालान का भुगतान कर वाहन छुड़ा लेते हैं, क्योंकि अगले दिन चालकों को फिर स्कूली बच्चों को स्कूल छोड़ना होता है।
कानून कड़ा न होने से चालक मनमानी करते हैं
यातायात पुलिस यदि सख्त कार्रवाई करते हुए वैन जब्त कर लेती है तब भी अगले दिन कोर्ट से वैन छूट जाती है। कानून कड़ा न होने से चालक मनमानी करते हैं। स्कूलों को चाहिए कि वे पर्याप्त बसों की व्यवस्था करें। परिवहन शुल्क भी उतना ही रखें, जितना मध्यम व निम्न मध्यम वर्ग वहन कर सके। परिवहन शुल्क ज्यादा होने के कारण ही अभिभावक निजी कैब का सहारा लेते हैं। वहीं रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन कर सख्त कानून बनाने की जरूरत है। ऐसा नियम हो ताकि इस धारा का उल्लंघन करने पर वैन को एक माह तक जब्त रखा जा सके। जब तक सख्त कानून नहीं बनाया जाएगा, इस तरह के हादसे पर रोक नहीं लग पाएगी।
तेज रफ्तार है हादसे की वजह
पुलिस का कहना है कि वैन चालकों के पास कई स्कूलों के बच्चों की बुकिंग रहती है। अमूमन सभी स्कूलों के खुलने व छुट्टी होने का समय एक होता है। इसलिए चालक जल्दबाजी में बच्चों को स्कूल पहुंचाते और वापस घर छोड़ते हैं। समय को ध्यान में रखते हुए वे तेज रफ्तार में वैन चलाते हैं, जिससे हादसे होते हैं।
दिल्ली में करीब चार हजार स्कूल
दिल्ली में छोटे-बड़े करीब चार हजार स्कूल हैं, लेकिन इनमें वैन या स्कूली वाहन की संख्या जरूरत की अपेक्षा काफी कम है। वैन चालक एक साथ कई स्कूलों के बच्चों को छोड़ने का जिम्मा ले लेते हैं।