GST में कैसे-कैसे पेंच फंसा सकते हैं ये 6 राज्य, काउंसिल तय करेगी नया टैक्स स्लैब
देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार कार्यक्रम जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) बिल लोकसभा में चली मैराथन बहस के बाद कानून बन गया है. लोकसभा से पारित होने के बाद अब देश के सभी राज्यों को 3 महीने से कम समय में अपना जीएसटी कानून बनाना होगा जिससे 1 जुलाई से इसे पूरे देश में लागू किया जा सके. केन्द्र सरकार द्वारा सदन में लाए गए जीएसटी से जुड़े 4 संशोधन विधेयकों को मंजूरी के लिए लोकसभा में हुई बहस के दौरान देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी बात कही. इस बहस के दौरान देश के सभी अहम राज्यों से आए सांसदों ने भी जीएसटी लागू होने के बाद उनके राज्यों को होने वाले फायदे और नुकसान की बाद प्रमुखता के साथ संसद में रखी. अब इन राज्यों को केन्द्र द्वारा दिए गए जीएसटी कानून को अपनी-अपनी विधानसभाओं से पारित कराना है. वहीं अभी केन्द्र सरकार के लिए जीएसटी की चुनौती खत्म नहीं हुई है क्योंकि राज्यसभा से मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. संसद में 'मैराथन बहस' में ये था 6 राज्यों का 'गिला-शिकवा' - 1. महाराष्ट्र: एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी और एनसीपी सांसद सुप्रिया सूले ने लोकसभा में जीएसटी पर बहस के दौरान कहा कि महाराष्ट्र देश में जीएसटी लागू करने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है. प्रदेश में टैक्स विभाग ने जीएसटी सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है और टैक्स कर्मचारियों को नए टैक्स सिस्टम में काम करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है. सूले के मुताबिक इन तैयारियों के साथ महाराष्ट्र चाहता है कि जल्द से जल्द देश में इसे किया जाए. हालांकि सूले ने जीएसटी कानून के मौजूदा प्रावधानों से देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभावों पर केन्द्र सरकार से सवाल करने हुए पूछा है कि यदि जीएसटी लागू करने के बाद देश में महंगाई बेलगाम होती है तो सरकार ने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए क्या तैयारी की है. साथ ही सूले ने पूछा कि क्या किसी इमरजेंसी की स्थिति में राज्यों को मुआवजा देने के लिए केन्द्र नए टैक्स लगाएगी. 2. आंध्रप्रदेश: गुंटूर से टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला ने जीएसटी कानून में राज्यों को दिए जाने वाले मुआवजे के प्रावधान पर सवाल उठाते हुए कहा कि कानून के मुताबिक सरकार राज्यों को मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है. गल्ला ने जीएसटी लागू होने के बाद आंध्रप्रदेश को 2000 करोड़ रुपये राजस्व का प्रति वर्ष नुकसान का हवाला देते हुए कहा कि आंध्र के लिए मुआवजे की अवधि 5 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी जाए. 3. तमिलनाडु: जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के सांसद टी जी वेंकटेश बाबू ने कहा कि जीएसटी के लिए प्रस्तावित जीएसटी काउंसिल से देश के संघीय ढ़ांचे पर खतरा मंडरा रहा है. बाबू के मुताबिक जीएसटी काउंसिल को दिए जा रहे अधिकार से केन्द्र और राज्य की संप्रभुता पर खतरा है. इसके अलावा संसद में बहस के दौरान तमिलनाडु के सांसद ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में वीटो के लिए प्रस्तावित प्रावधान को राज्यों के पक्ष में करने की जरूरत है. 4. पश्चिम बंगाल: एआईटीसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार द्वारा दिसंबर 2016 में लाया गया ड्राफ्ट जीएसटी राज्य के हित में नहीं था. हालांकि बनर्जी ने बताया कि जीएसटी फोरम पर राज्य द्वारा उठाई गई ज्यादातर आपत्तियों का निवारण कर दिया गया है. कल्याण बनर्जी ने मोदी सरकार द्वारा जीएसटी को गेमचेंजर कहने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह कानून किसी एक पार्टी अथवा सरकार के कारण नहीं तैयार हुआ है. उनके मुताबिक जीएसटी कानून को मौजूदा स्वरूप तक ले जाने में पश्चिम बंगाल ने अहम भूमिका अदा की है. वहीं सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह जीएसटी काउंसिल को संसद का क्लोन बनाने की कवायद में लगी है. काउंसिल के मौजूदा प्रावधान टैक्स मामलों में उसे संसद से भी मजबूत कर देंगे. अंत में सांसद सलीम ने कहा कि पीएम मोदी के न्यू इंडिया की न्यू पॉलिसी है जीएसटी. 5. ओडिशा: राज्य से बीजू जनता दल के सांसद भर्तृहरि महताब ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इसे गेमचेंजर कहना महज अतिश्योक्ति है. महताब के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद भी देश में कोई बहुत बड़े बदलाव की उम्मीद कम है. उनके मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद एक साल की अवधि तक यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि इससे सरकार के राजस्व में बड़ा इजाफा हो जाएगा. वहीं उन्होंने कहा कि यह भी दावा नहीं किया जा सकता कि जीएसटी का मंहगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा. महताब के मुताबिक मौजूदा जीएसटी प्रावधान से देशभर में 0-5-12-18-28-28 से अधिक की दर पर टैक्स लगाया जाएगा जबकि पहले प्रचार किया जा रहा था कि जीएसटी के जरिए देशभर में एक समान टैक्स दर लागू होगा. 6. उत्तर प्रदेश: पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार महज बड़े-बड़े वादे करने में विश्वास रखती है. जीएसटी के जरिए जीडीपी में वृद्धि के अनुमान पर बोलते हुए यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह गरीब, बेरोजगार और मजदूरों के हित में कानून बनाने का काम करें. यादव ने कहा कि जीएसटी अपने नाम की तरह ही एक कठिन है और ग्रामीण इलाकों में लोगों की समझ से परे है. वहीं यादव ने जोर दिया कि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है जहां व्यवसायिक गतिविधियां बाकी राज्यों के मुकाबले बहुत कम है. ऐसे में जीएसटी लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में नए रोजगार उपलब्ध कराने का रोडमैप बनना चाहिए.
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