29 June 2018 | 11.02 AM
नई दिल्ली: जीएसटी नेटवर्क बीते एक साल की गलतियों से सबक लेकर पोर्टल में नई सहूलियतें जोड़ रहा है और अब उसका पूरा फोकस यूजर इंटरफेस पर है, जहां गलतियां बताने के साथ ही समाधान भी सुझाया जाए। जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार ने सिस्टम की सुस्ती, रिटर्न भरने में दिक्कतों, एक्सपोर्ट रिफंड में तकनीकी परेशानियों पर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि अब सामान्य शिकायतों को आधार बनाकर ही नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं और अगले कुछ महीनों में सिस्टम बेहद सरल होनेवाला है।
उन्होंने कहा, ‘हमने थ्री-बी को इतना सरल कर दिया है कि अब सिस्टम ही बताता है कि आपका कितना इनपुट क्रेडिट है और उसे कहां डिस्ट्रीब्यूट करना है। आप वहीं एक बटन दबाकर चालान भी जेनरेट कर सकते हैं। अब तक सिस्टम सिर्फ एरर दिखाता था, लेकिन डीटेल्स नहीं बताता था। अब हम हर एरर को एक कोड दे रहे हैं, जिससे सिस्टम बताएगा कि किस तरह की गलती हुई है और क्या समाधान है।
जीएसटी काउंसिल के साथ मिलकर नए रिटर्न पर भी काम हो रहा है और जल्द ही यूजर्स के लिए फाइलिंग बेहद आसान हो जाएगी। सिस्टम की सुस्ती के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘बुधवार को एक ही दिन में 21 लाख ई-वे बिल जेनरेट हुए हैं, जो रिकॉर्ड है। इनमें 41% इंटर स्टेट और 59% इंट्रा स्टेट ई-वे बिल हैं। कुल जेनरेशन 10 करोड़ को पार कर गई है। मौजूदा सिस्टम की क्षमता इससे भी कहीं ज्यादा है।’
एक्सपोर्टर्स को रिफंड में देरी पर उन्होंने कहा, 'आधे रिफंड ऐसे हैं, जहां एक्सपोर्टर ने टैक्स पे किया है। ऐसे में वह जीएसटीआर-1 और 3बी भरता है और शिपिंग बिल देता है। हम उसे कस्टम को भेज देते हैं, जो सिर्फ तस्दीक करता है कि माल भेजा गया या नहीं। उसके बाद ऑटोमेटिक रिफंड हो जाता है। ऐसे रिफंड लोग 5-6 दिन में ले रहे हैं।
दिक्कत वहां आ रही है, जहां टैक्स पेमेंट नहीं हुआ है और रिफंड बनता है। ऐसे में असेसिंग अफसर के लिए यह देखना जरूरी है कि उसने जितना इनपुट क्रेडिट क्लेम किया है, उतनी खरीदारी हुई है या नहीं। इसके लिए फिजिकल वेरिफिकेशन जरूरी है। सिस्टम के स्तर पर रिफंड में कोई देरी नहीं हो रही है।' उन्होंने बताया कि जीएसटीएन ने 27 राज्यों के लिए बैक एंड सिस्टम तैयार कर लिया है और जल्द ही अफसरों के लिए असेसमेंट का काम भी बेहद आसान होने वाला है।