30 December 2017 | 11.26 AM
नई दिल्ली : ऐग्रिकल्चर सेक्टर में कीमतों से जुड़ा जोखिम कम करने के लिए सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर नए मॉडल ऐक्ट का ड्राफ्ट पेश किया है। कंपनियों का कहना है कि राज्यों के इस ऐक्ट को लागू करने के बाद किसानों के हितों की रक्षा होगी, फूड प्रोसेसिंग सेक्टर की ग्रोथ बढ़ेगी और ऐग्रिकल्चर सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नॉलजी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए उनका भरोसा बढ़ेगा।
केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ 2017-18 के बजट में घोषणा की थी कि किसानों को ऐग्रो इंडस्ट्रीज के साथ जोड़कर उनकी फसल के लिए बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ऐक्ट बनाया जाएगा। अब सरकार ने इस ऐक्ट के ड्राफ्ट पर अपनी राय देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और वैल्यू चेन से जुड़ी कंपनियों, किसानों के संगठनों और किसानों को 6 जनवरी तक का समय दिया है। जैन इरिगेशन सिस्टम्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल जैन ने बताया, 'इस ऐक्ट से छोटे किसानों के हित की सुरक्षा के साथ ही मंडियों के बिना इंडस्ट्री को रॉ मटीरियल की बेहतर सप्लाइ को सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि, सभी स्टेकहोल्डर्स की सुरक्षा और लालफीताशाही से बचने को पक्का करने के लिए ड्राफ्ट ऐक्ट की कुछ शर्तों को ध्यान से पढ़ने की जरूरत है।' उनका कहना था कि इस तरह के कॉन्ट्रैक्ट में विवाद निपटाने की प्रक्रिया व्यावहारिक और जल्द होनी चाहिए।
फील्डफ्रेश फूड्स के सीईओ योगेश बेलानी ने कहा, 'देश की 58 पर्सेंट जनसंख्या के लिए ऐग्रिकल्चर आमदनी का प्रमुख जरिया है और इस वजह से कृषि उत्पादन में निवेश बढ़ने से देश के किसानों को काफी फायदा होगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर ऐक्ट बनने से प्राइवेट सेक्टर को कृषि में निवेश करने और टेक्नॉलजी के अधिक इस्तेमाल के लिए कदम उठाने का प्रोत्साहन मिलेगा।' उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में इन्वेस्टमेंट से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को बहुत कम किया जा सकेगा और इससे रोजगार में भी वृद्धि होगी। ऐग्रिकल्चर मिनिस्ट्री के अनुसार, देश में लगभग 12 करोड़ कृषि परिवारों में से 86 पर्सेंट से अधिक छोटे (खेती की 2 हेक्टेयर या इससे कम जमीन) और सीमांत (खेती की 1 हेक्टेयर या इससे कम जमीन) किसान हैं।
देश में जमीन का औसत मालिकाना हक 1.1 हेक्टेयर है आईएलटी फूड्स के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर अश्विनी अरोड़ा के मुताबिक, 'इससे खेती अधिक संगठित बनेगी और किसानों को बीजों, फर्टिलाइजर और अन्य संबंधित चीजों के बारे में बेहतर फैसले करने में मदद मिलेगी। इससे फसल की क्वॉलिटी और मात्रा में सुधार होगा।' इंडस्ट्री के संगठन फिक्की की ऐग्रिकल्चर डिविजन के प्रमुख जसमीत सिंह ने कहा कि देश में गन्ने, बागवानी की फसलों, आलू और कुछ अन्य फसलों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जा रही है और इस वजह से किसानों को मार्केट के उतार-चढ़ाव की मुश्किलों से बचाना जरूरी है।