11 April. 2018 | 11.16 AM
नई दिल्ली : टैक्स की चोरी रोकने के लिए राज्यों ने अपने टैक्स डिपार्टमेंट्स से इलेक्ट्रॉनिक वे या ई-वे बिलों की जांच बढ़ाने को कहा है। इससे सड़कों पर ट्रकों के दस्तावेजों की जांच में वृद्धि हो सकती है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ट्रांसपोर्टर्स की ओर से अनुमान से कम ई-वे बिल जेनरेट हो रहे हैं और इसी वजह से राज्य यह कदम उठा रहे हैं। ऐसी आशंका है कि ई-वे बिल की संख्या कम होना टैक्स चोरी का संकेत है। राज्यों ने अपनी टैक्स अथॉरिटीज को उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो बिना ई-वे बिल के सामान ले जा रहे हैं।
महाराष्ट्र ने 3 मार्च को 1,00,938 ई-वे बिल जेनरेट किए और इसकी तुलना में गुजरात के ई-वे बिल की संख्या 1,75,851 थी। यह हैरान करने वाली बात है कि गुजरात में ई-वे बिल के लिए 1,980 एनरोलमेंट की तुलना में महाराष्ट्र में 2,669 एनरोलमेंट थे। राज्यों के बीच 50,000 रुपये से अधिक के गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वे बिल की जरूरत होती है। ई-वे बिल का परीक्षण 16 जनवरी को शुरू हुआ था और यह सिस्टम 1 अप्रैल से औपचारिक तौर पर लागू किया गया था। सरकार ने मंगलवार को बताया कि राज्य के अंदर 10 किलोमीटर से अधिक दूरी पर गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वे बिल की शुरुआत 15 अप्रैल से आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में होगी।
ट्रकों को बिना ई-वे बिल के पकड़े जाने पर 10,000 रुपये तक की पेनल्टी चुकानी पड़ सकती है। इसके साथ ही टैक्स की चोरी की मात्रा तय करने के लिए ट्रक में मौजूद सामान की जांच होती है। चोरी किए गए टैक्स की 100 पर्सेंट पेनल्टी लगाई जा सकती है। इसके अलावा वाहन और सामान दोनों को जब्त भी किया जा सकता है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) सिस्टम में ई-वे बिल एक अहम हिस्सा है। सरकार ने कहा है कि टैक्स चोरी के कारण हाल के महीनों में GST से मिलने वाले रेवेन्यू में कमी आई है।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि व्यापारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे गलती या कानून की जानकारी न होने के चलते ई-वे बिल को लेकर चूक न करें। GST लागू होने के बाद राज्यों की सीमा पर ट्रकों की जांच में कमी आई है। लेकिन ई-वे बिल को लेकर राज्य सरकारों की सख्ती से माल ढुलाई करने वाले ट्रकों के दस्तावेजों की जांच दोबारा बढ़ सकती है।