29 September 2018 | 12.36 PM
नई दिल्ली: ई-कॉमर्स कंपनियों को गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) सिस्टम के तहत टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) के कलेक्शन के लिए उन सभी राज्यों में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जहां उसके सप्लायर मौजूद हैं। इसके साथ ही विदेशी कंपनियों को ऐसे रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक ‘एजेंट’ भी नियुक्त करना होगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) ने यह जानकारी दी है। गौरतलब है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को 1 अक्टूबर से अपने सप्लायर्स को पेमेंट करने से पहले 1 फीसदी TCS की कटौती करनी होगी।
CBIC ने जारी किए 29 FAQs
सीबीआईसी ने हाल में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा टीसीएस की कटौती के दौरान पालन की जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित इंड्स्ट्री की क्वेरीजी से संबंधित 29 एफएक्यू और उनके उत्तर जारी किए हैं। इसमें कहा गया कि भले ही ई-कॉमर्स कंपनियों ने जीएसटी के अंतर्गत एक सप्लायर के तौर पर या जीएसटीआईएन का रजिस्ट्रेशन करा रखा है, इसके बावजूद उन्हें टीसीएस के लिए अलग से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कंपनियों द्वारा टीसीएस के तौर पर काटी गई धनराशि महीना खत्म होने के बाद 10 दिन के भीतर सरकार के पास जमा करानी होगी।
हर राज्य में कराना होगा रजिस्ट्रेशन
सीबीआईसी ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां चाहे वे घरेलू हों या विदेशी, उन्हें हर इंट्रा स्टे या इंटर स्टेट सप्लाई के लिए टीसीएस कलेक्ट करने के लिए खुद को हर राज्य/संघ शासित राज्य में रजिस्टर करना होगा। हर राज्य/संघ शासित राज्य में रजिस्ट्रेशन लेने के क्रम में ई-कॉमर्स कंपनी को ऐसे राज्य/संघ शासित राज्य में रजिस्टेशन लेने के लिए अपना हेडक्वार्टर घोषित करना होगा, जहां उनकी फिजिकल मौजूदगी नहीं है।
एजेंट की नियुक्ति कर सकती हैं ई-कॉमर्स कंपनियां
विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों जिनका भारत में ‘प्लेस ऑफ बिजनेस’ नहीं होता है क्योंकि वे बाहर से ऑपरेट होती हैं, लेकिन उनके देश में सप्लायर्स और कस्टमर्स होते हैं, के मामले में सीबीआईसी ने कहा कि ऐसी सप्लाई के लिए टीसीएस काटना होगा और उन्हें हर राज्य/संघ शासित राज्य में रजिस्ट्रेशन करना होगा।
यदि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनी की किसी खास राज्य/संघ शासित राज्य में फिजिकल मौजूदगी नहीं है तो वे अपनी तरफ से एक एजेंट की नियुक्ति कर सकती हैं।
बढ़ सकती है मुकदमेबाजी
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा, ‘सरकार ने देश भर में टीसीएस-जीएसटी स्कीम लागू होने से महज दो दिन पहले ये क्लैरिफिकेशन दिए हैं, जिससे सभी ई-कॉमर्स कंपनियों और ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर रजिस्टर सप्लायर्स को खासी दिक्कतें होंगी। इसके अलावा ये एफएक्यू एक प्रकार से एजुकेशनल हैं, जिनका लीगली महत्व नहीं है। ऐसे में भविष्य में मुकदमेबाजी जैसे मामले सामने आ सकते हैं।’