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डेंगू से बचने के लिए इस पॉलिसी का करे उपयोग,महंगे इलाज से मिलेगी राहत:

31 July 2019 | 12.04 PM

नई दिल्ली: मानसून के बाद हमारी वनस्पतियों और वातावरण पर काफी प्रभाव पड़ता है क्योंकि मानसून अपने साथ बीमारियों का जोखिम भी लेकर आता है। हर वर्ष मानसून के बाद डेंगू फैलने लगता है। डेंगू का खतरा बड़ा है और लोग इससे बचने के लिये सभी प्रकार के उपाय करते हैं। दवाइयों के मामले में कई बड़े आविष्कार किए गए हैं और विश्व-स्तरीय स्वास्थ्य रक्षा सुविधाएं तैयार की गई हैं। हम बता दें कि डेंगू के इलाज पर अधिक खर्च आता है इसलिए आप डेंगू केयर पॉलिसी भी ले सकते हैं।

सबसे पहले कराएं जांच

डेंगू का पता लगाने के लिए खून की महंगी जांच करानी पड़ती हैं और इसका इलाज भी महंगा है, जिसमें दवा और इंजेक्शन शामिल हैं। डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक विशेष डेंगू-हेल्थ कवर आवश्यक है, जो इस बीमारी के लिए लोगों का बीमा करेगा।

डेंगू कवर भी जरूरी

हम सभी को बताया गया है कि रोगों से बचने का एक उपाय है अपने आस-पास के क्षेत्र को स्वच्छ रखना और आवश्यकतानुसार मच्छरदानी का उपयोग करना। लेकिन एक बीमा पॉलिसी भी जरूरी है, जो बीमारी होने पर मच्छरदानी का काम करेगी। इसलिए इस मानसून में आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा करने वाली डेंगू केयर पॉलिसी लेना उचित होगा, जिसमें इन-पेशेंट हॉस्पिटलाइजेशन, प्री-हॉस्पिटलाइजेशन और पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन शामिल हो। हम बता दें कि कई बीमा कंपनियों ने डेंगू बीमारी को कवर देने के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी देते हैं। आप 49 से 682 रुपए के मामूली प्रीमियम में 10 हजार से एक लाख रुपए तक का कवर ले सकते हैं।

पॉलिसी लेते समय इन बातों का रखें ध्यान

स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय लोग अक्सर पूरे परिवार के लिए कवरेज, बीमित राशि और प्रीमियम, पहले से मौजूद बीमारियों के कवर के लिए कम प्रतीक्षा अवधि, नेटवर्क हॉस्पिटल, नगद रहित सुविधा, प्री-पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन, कमरे का किराया, आदि जैसे प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देते हैं। प्राय: लोग ऐसा प्लान लेते हैं, जिसमें ये सभी पहलू हों। डेंगू केयर पॉलिसी में भी ये सभी लाभ मिल सकते हैं। इसलिए, डेंगू केयर पॉलिसी लेते समय ग्राहक को निम्नलिखित लाभों पर ध्यान देना चाहिए।

- वहन करने की योग्यता
यह ‘धन को महत्व’ देने वाली स्वास्थ्य बीमा योजना होनी चाहिए, जो डेंगू के उपचार पर केंद्रित हो और किफायती प्रीमियम दरों पर हॉस्पिटलाइजेशन और आउटपेशेंट ट्रीटमेंट को कवर करे। ओपीडी कवरेज- पॉलिसी में जांच, परामर्श, होम नर्सिंग और फार्मेसी के लिए कवरेज होना चाहिए, क्योंकि अधिकांश मामलों में डेंगू का उपचार घर पर ही किया जाता है। खरीदारी की सरल प्रक्रिया- डेंगू पॉलिसी सरल होनी चाहिए। ग्राहक को एकल प्रीमियम का भुगतान करना चाहिए, चाहे उसकी आयु कितनी भी हो। पॉलिसी में जटिल अंडर राइटिंग नहीं होनी चाहिए, इसमें मेडिकल टेस्ट के लिए कोई पूर्व आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

- कम प्रतीक्षा अवधि

रिटेल पॉलिसी के लिए प्रतीक्षा अवधि बहुत कम होनी चाहिए, अन्य अधिकांश क्षतिपूर्ति योजनाओं की तुलना में 15 दिन। रिजेक्शन नहीं होना चाहिए- डेंगू केयर पॉलिसी सभी प्रकार के लोगों के लिए उपलब्ध होनी चाहिए, उनके लिए भी, जिन्हें सामान्य स्वास्थ्य बीमा योजना से रिजेक्ट कर दिया गया है। गैर-मेडिकल खर्चों के लिए कवरेज- पॉलिसी में गैर-मेडिकल खर्च भी कवर होने चाहिए, जैसे हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान साझा आवास के विकल्प।

इलाज पर होता है इतना खर्च -

- 50 हजार से एक लाख रुपए मेट्रो शहरों में डेंगू के इलाज पर औसत खर्च
- 25 हजार रुपए से 75 रुपए तक छोटे शहरों में खर्च
- 250 फीसदी बढ़े डेंगू के मरीज भारत में 2013 के मुकाबले 2017 में
- 15 दिन ही प्रतीक्षा अवधि डेंगू की बीमा पॉलिसी में

जानिए इस बीमारी से जुड़ी कुछ अहम बातें -

ये हैं डेंगू के लक्षण :

- डेंगू एडीज मच्छरों के काटने से होता है। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर पर लाल-लाल चकत्ते दिखाई देते है।
- इसमें 104 डिग्री तेज बुखार आता है और सिर में तेज दर्द होता है।
- शरीर के साथ जोड़ों में भी दर्द होता है। खाना पचाने में दिक्कत होती है।
- उल्टी होना, भूख कम लगना व ब्लड प्रेशर कम हो जाना इसके कुछ अन्य लक्षण हैं।
- इसके अलावा चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना और बॉडी में प्लेटलेट्स की कमी हो जाना खास लक्षण हैं।
- लीवर और सीने में फ्लूइड जमा हो जाता है।

डेंगू से जुड़ी जरूरी जानकारी :

- डेंगू का मच्छर आम तौर पर दिन में काटता है।
- गर्मी और बारिश के मौसम में यह बीमारी तेजी से पनपती है। डेंगू के मच्छर हमेशा साफ़ पानी में पनपते हैं जैसे छत पर लगी पानी की टंकी, घड़ों और बाल्टियों में जमा पीने का पानी, कूलर का पानी, गमलों में भरा पानी।

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय -

वैसे तो डेंगू (dengue) का इलाज चिकित्सकीय प्रक्रिया से डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है लेकिन सावधानी के तौर पर आप भी कुछ तरीके अपना सकते हैं। - रोगी को ज्यादा से ज्यादा तरल चीजें दीजिए ताकि उसके शरीर में पानी की कमी न हो। डेंगू में गिलोई के पत्ते काफी उपयोगी होते हैं।
- मरीज को पपीते के पत्ते पानी में पीस कर दिए जा सकते हैं। यह शरीर में प्लेटलेट्स (platelets) बढाने का काम करते हैं लेकिन देने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरुर लें।
- मरीज को डिस्प्रिन और एस्प्रीन की गोली कभी ना दें।
- बुखार कम करने के लिए पेरासिटामॉल की गोली दी जा सकती है।
- जितना हो सके नारियल पानी और जूस पिलाएं।

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