6 October 2017 | 3.29 PM
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को काले धन और शेल कंपनियों के खिलाफ जारी जंग में उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली, जब 13 बैंकों ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकार को 2,09,032 संदिग्ध कंपनियों में से कुछ के बैंक खातों के ऑपरेशन तथा नोटबंदी के बाद के जमा-निकासी को लेकर बेहद अहम जानकारी दी. गौरतलब है कि इसी साल रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ ने इन संभी कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया था, जिसके बाद इन कंपनियों के बैंक खातों को सिर्फ देनदारियां चुकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने की बंदिश लागू हो गई थी.
अब 13 बैंकों ने आंकड़ों की पहली किस्त सरकार को सौंपी है, जिसमें दो लाख से भी ज़्यादा कंपनियों में से सिर्फ 5,800 कंपनियों के 13,140 बैंक खातों की जानकारी दी गई है. इनमें से कुछ कंपनियों के नाम तो 100-100 से भी ज़्यादा खाते हैं. इनमें से एक कंपनी के नाम कुल 2,134 बैंक खाते हैं, जबकि कई अन्य के नाम 900 खाते भी हैं.
लेकिन बैंकों द्वारा सरकार को दी गई सबसे अहम जानकारी नोटबंदी के दौरान इन खातों में की गई जमा-निकासी से जुड़ी है. बताया गया है कि लोन खातों को अलग कर दिए जाने के बाद इन 5,800 कंपनियों के खातों में 8 नवंबर, 2016 को उनके पास कुल 22.05 करोड़ रुपये की रकम बची थी. लेकिन 9 नवंबर, 2016 (नोटबंदी का लागू होना) से रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने तक की अवधि में इन कंपनियों ने 4573.87 करोड़ रुपये की रकमें जमा करवाईं, और लगभग इतनी ही रकम, यानी 4,552 करोड़ रुपये की निकासी भी की.