• fulldetail

बजट 2018: स्कूलों की बेतहाशा फीस टैक्स फ्री क्यों नहीं, जानिए इसका कारण?

17 January 2018 | 10.57 AM

इनकम टैक्स के मौजूदा नियमों के मुताबिक बच्चों की स्कूली शिक्षा पर किए गए खर्च पर करदाताओं को टैक्स में राहत का प्रावधान है. हालांकि टैक्स में राहत का यह प्रावधान इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80सी और 80ई के तहत दिया जाता है जहां बच्चों की वार्षिक ट्यूशन फीस को 1.50 लाख रुपये की टैक्स छूट की रकम में जोड़ा जा सकता है.


शिक्षा के नाम पर दी जा रही इस राहत के दायरे में महज फुल टाइम कोर्स आते है जहां फीस किसी मान्यता प्राप्त युनीवर्सिटी, कॉलेज, स्कूल या किसी अन्य शिक्षण संस्थान को दी गई है. इसके अलावा प्री नर्सरी, प्ले स्कूल और नर्सरी स्कूल के लिए दी गई फीस पर भी टैक्स में रियायत ली जा सकती है.


इस राहत के बावजूद स्कूल फीस में ट्यूशन फीस के अलावा हॉस्टल, मेस, बुक्स एंड स्टेशनरी, स्कूल ड्रेस, ट्रांस्पोर्टेशन, लाइब्रेरी चार्ज, डोनेशन इत्यादि पर खर्च स्कूली शिक्षा पर वार्षिक खर्च का बड़ा हिस्सा हैं. इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक प्राइवेट या होम ट्यूशन, कोचिंग इंस्टीट्यूट, पार्ट टाइम कोर्स या पत्राचार शिक्षा के लिए टैक्स मंा रिबेट का प्रावधान नहीं है. ये सभी खर्च पूरी तरह से टैक्स दायरे में हैं.


वहीं देश के बाहर ली जा रही शिक्षा में दिए गए ट्यूशन फीस पर भी टैक्स में राहत का प्रावधान नहीं है. खास बात है कि मौजूदा टैक्स नियम के तहत स्कूल फीस के नाम पर टैक्स में छूट सिर्फ बच्चे की फीस पर ली जा सकती है. यदि कोई कर दाता अपने पति अथवा पत्नी की शिक्षा के लिए फीस देता है या अन्य किसी आश्रित की फीस अदा करता है तो उसके लिए टैक्स से छूट का कोई प्रावधान मौजूद नहीं है.


आगामी बजट में केन्द्र सरकार स्कूली शिक्षा को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में अहम फैसले ले सकती है. इसमें स्कूल पर होने वाले कई अहम खर्च को भी टैक्स के दायरे में शामिल किया जा सकता है अथवा पूरी तरह से स्कूली शिक्षा पर खर्च को टैक्स से बाहर भी किया जा सकता है.

Comment Here