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ये कैसी पढ़ाई ? कोई 36 , तो कोई 32 साल से कर रह है एमबीबीअस

अब क्‍या बताएं जनाब हम तो दारोगा बनना चाहते थे, वो तो हमारे अच्‍छे नम्‍बरों को देखते हुए मामू ने एमबीबीएस में दखिला दिला दिया। 1980 में हमने अलीगढ़ मुस्‍लिम यूनिवर्सिटी के जेनएन मेडिकल कॉलेज में दखिला लिया था। बस तभी से अपनी एमबीबीएस पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन किस्‍मत को पता नहीं क्‍या मंजूर है। अभी तक पूरी हुई ही नहीं।

यह कहना है अंबेडकर नगर, यूपी के रहने वाले 55 साल के अमीरउल्‍लाह का। अमीर 36 साल में एमबीबीएस पूरी करने की कई दफा कोशिश कर चुके हैं, लेकिन किस्‍मत को कुछ और ही मंजूर होता है। हर बार किसी न किसी वजह से उनकी एमबीबीएस अधूरी रह जाती है।
अमीर जब जेएन मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस करने के लिए आए थे तो उनकी उम्र उस वक्‍त महज 19 वर्ष की थी। लेकिन डॉक्‍टरी का जज्‍बा ऐसा कि 55 साल का होने के बाद भी पढ़ाई करने के उत्‍साह में कोई कमी नहीं आई है। यह बात अलग है कि उनके बैचमेट आज कोई प्रोफेसर बन कर डॉक्‍टरी पढ़ा रहा है तो कोई प्रेक्‍टिस करके नाम कमा रहा है। इतना ही नहीं एएमयू के एग्‍जाम कंट्रोलर प्रो जोवद अख्‍तर साहब उस वक्‍त पढ़ाई कर रहे थे जब अमीर एमबीबीएस करने अलीगढ़ आए थे।
जेएन मेडिकल कॉलेज के 36 साल के सफर में अमीर डॉक्‍टर बने हों या नहीं, लेकिन इस दौरान दादा बनने का खिताब जरूर पा लिया है। अमीर का बड़ा बेटा कंप्‍यूटर डिजाइनर है। हैरत की बात यह है कि बेशक अमीर के पास कंप्‍यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री नहीं है, लेकिन वह खुद भी कंप्‍यूटर के एक अच्‍छे जानकार हैं। बार-बार पढ़ाई बीच में छूटने के पीछे अमीर बताते हैं कि एक बार छोटी बहन की मौत हो गई तो उसकी वजह से पढ़ाई छूट गई। किसी तरह दोबारा से पढ़ाई शुरू की तो पिता की तबियत बहुत ज्‍यादा खराब हो गई।

एक बार फिर से हिम्‍मत जुटाकर पढ़ाई शुरू की थी, लेकिन कुछ परिवारिक कारणों की वजह से फिर पढ़ाई छोड़नी पड़ी है। अमीर बताते हैं कि यह बात अलग है कि अब इस पढ़ाई को पूरा करने के कोई मायने नहीं रह गए हैं। लेकिन पढ़ाई पूरी कर आज की जेनरेशन के सामने एक मिसाल पेश करना चाहता हूं।
ये भी कम नहीं, इनकी 32 साल से पूरी नहीं हुई पढ़ाई

-तो क्‍या हुआ सईद अख्‍तर अमीरउल्‍लाह से चार साल जूनियर हैं। लेकिन उनका हौंसला किसी भी मायने में अमीर से कम नहीं है। रुड़की के रहने वाले सईद 1984 में एमबीबीएस करने के लिए अलीगढ़ आए थे। लेकिन खुद एक एक्‍सीडेंट में गंभीर रूप से घायल होने के चलते कई वर्ष तक पढ़ाई से दूर रहे। लेकिन एक बार फिर दुगने हौंसले के साथ एमबीबीएस पूरी करने के लिए उठ खड़े हुए हैं। सईद की एमबीबीएस पूरी होने में अब कुछ ही वक्‍त रह गया है। सईद आज भी दूसरे नौजवान छात्र-छात्राओं की तरह से सुबह जल्‍दी-जल्‍दी क्‍लास लेने जाते हैं। सईद अख्‍तर की भतीजी उनके बाद एमबीबीएस करने आई थी। आज वो आंखों के इलाज की पढ़ाई पूरी कर जा चुकी है। अब वो अरब देश में अच्‍छी नौकरी भी कर रही है।

 

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