29 June 2019 | 11.47 AM
नई दिल्ली: अभी देश में करीब 10 लाख से ज्यादा शिक्षकों की नौकरियां खाली पड़ी हैं। लाखों लोग बीएड और बीटीसी जैसे कोर्स करने के बाद भी नौकरी से महरूम हैं। इसका असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति में बेहतर इंतजाम किए गए हैं। नई शिक्षा नीति में बीएड करने वालों को अनिवार्य रूप से नौकरी देने और दाखिला लेने के बाद प्रतिभाशाली छात्रों को मेरिट के आधार पर स्कॉलरशिप देने की सिफारिश की गई है। फिलहाल इस शिक्षा नीति पर देशभर से सुझाव मांगे गए हैं।
अच्छे शिक्षक नहीं मिलने पर जताई चिंता
पिछले महीने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक ड्राफ्ट जारी किया गया। इसमें शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए कई सिफारिशें की गई हैं। बीएड जैसे शिक्षक कोर्स में व्यापक बदलाव की सिफारिश की गई है। इस शिक्षा नीति में कहा गया है कि शिक्षक के पेशे में अच्छी प्रतिभाएं नहीं आ रही हैं और यह चिंता का विषय है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि यदि पढ़ाई के समय ही अच्छी सुविधाएं, स्कॉलरशिप और पढ़ाई खत्म होने के बाद अनिवार्य रूप से नौकरी देने की व्यवस्था की जाए तो इस पेशे में भी अच्छी प्रतिभाएं आएंगी। ग्रामीण क्षेत्र में शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए ऐसी पहल की सबसे ज्यादा जरुरत बताई गई है।
शिक्षक तैयार करने वाले संस्थानों का ढांचा मजबूत किया जाए
ड्राफ्ट में कहा गया है कि देश में शिक्षक तैयार करने वाले करीब 17 हजार संस्थान हैं। इनमें से 92 फीसदी संस्थान निजी क्षेत्रों के हैं। इन संस्थानों में बेहतर शिक्षक तैयार करने के सभी संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। ड्राफ्ट में इन संस्थानों के ढांचे को मजबूत करने की सिफारिश की गई है। साथ ही बीएड के चार वर्षीय कोर्स कराने में तेजी लाने की बात कही गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी करने वालों को मिले इंसेटिव
ड्राफ्ट में कहा गया है कि अभी ग्रामीण क्षेत्र में शैक्षणिक स्तर काफी खराब है। इसका कारण यह है कि बड़ी संख्या में शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य नहीं करना चाहते हैं। ड्राफ्ट में इस स्थिति को बदलने के लिए शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य के लिए प्रेरित करने और ऐसे शिक्षकों को इंसेटिव देने की सिफारिश की गई है। साथ ही ऐसे शिक्षकों को उनके स्कूल के करीब ही आवास सुविधा देने की सिफारिश की गई है।
खत्म हो चुनावी ड्यूटी
ड्राफट में कहा गया है कि मौजूदा शिक्षक अपना ज्यादातर समय मिड-डे,मील, चुनावी ड्यूटी और अन्य दूसरे कार्यों में व्यतीत करते हैं। शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षकों को इन कार्यों से मुक्त रखने की सिफारिश की गई है। साथ ही तकनीक से जुड़ी विशेष ट्रेनिंग देने, शिक्षकों की जरूरतों का पता लगाने के लिए हर पांच साल में अध्ययन की भी सिफारिश की गई है।