26 May. 2018 | 11.03 PM
नई दिल्ली: बीएसईएस ने नामी एयरकंडीशनर कंपनियों के साथ मिलकर, अपने उपभोक्ताओं के लिए एसी रिप्लेसमेंट स्कीम शुरू की है. इसके तहत उपभोक्ता, अपने पुराने एसी को एक्सचेंज करके, कम बिजली की खपत करने वाले, नए फाइव-स्टार एसी घर ले जा सकते हैं. नए एसी पर उन्हें 47 प्रतिशत तक का डिस्काउंट मिल सकता है. यह स्कीम लिमिटेड पीरियड के लिए है. अभी इसे दक्षिण और पश्चिम दिल्ली में रहने वाले बीआरपीएल उपभोक्ताओं के लिए शुरू किया गया है. जल्द ही, यह स्कीम पूर्वी और मध्य दिल्ली में रहने वाले बीवाईपीएल उभोक्ताओं के लिए भी शुरू की जाएगी.
क्या है एसी रिप्लेसमेंट स्कीम
इस स्कीम के तहत, बड़े ब्रांडों के 10 हजार एयर कंडीशनरों पर ऑफर दिए जाएंगे. इन ब्रांडों में एलजी, गोदरेज और वोल्टास के विंडो व स्पिल्ट एसी शामिल हैं. पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर यह स्कीम चलेगी. फिलहाल यह स्कीम सिर्फ साउथ और वेस्ट दिल्ली में रहने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए है. उपभोक्ता एक सीए नंबर पर अधिकतम 3 एसी ले सकते हैं. पूर्वी और मध्य दिल्ली में रहने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी जल्द ही यह स्कीम लाई जाएगी.
क्या फायदा है
फाइव स्टार स्पिल्ट-एसी खरीदने वाले उपभोक्ताओं को बिजली बिल के रूप में सालाना 7500 रूपये, और विंडो-एसी खरीदने वालों को सालाना 6500 रूपये तक की बचत हो सकती है. इसके अलावा, रिप्लेसमेंट स्कीम के तहत नए एसी खरीदने पर 47 प्रतिशत तक का डिस्काउंट भी मिलेगा.
कैसे हों स्कीम में शामिल
बीआरपीएल के हेल्पलाइन नंबर 19123/ 39999707 पर कॉल कर या अपने निकटतम डिविजन ऑफिस में विजिट कर अपना नाम और सीए नंबर रजिस्टर्ड करवाएं. उसके बाद एसी कंपनी के संबंधित अधिकारी, पैनल किए गए वेंडरों के माध्यम से आपसे संपर्क करेंगे और आपके अनुरोध को आगे बढ़ाएंगे.
बीएसईएस प्रवक्ता के मुताबिक- अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एयर कंडीशनर्स द्वारा बड़े पैमाने पर बिजली के इस्तेमाल के कारण ग्रिडों पर भारी बोझ पड़ेगा और ग्लोबल वॉर्मिग बढ़ेगी.
इन चिंताओं के मद्देनजर, सामाजिक रूप से एक प्रतिबद्ध संस्थान के तौर पर बीएसईएस हमेशा से ऊर्जा संरक्षण को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करती रही है. एसी रिप्लेसमेंट स्कीम भी बीएसईएस के डीएसएम यानी डिमांड साइड मैनेजमेंट पहल का ही एक हिस्सा है.
डीएसएम वह तकनीक व प्रक्रिया है, जिसके तहत उपभोक्ताओं की बिजली खपत की जरूरतों व आदतों का अध्ययन करके बिजली की बचत के रास्ते तलाशे जाते हैं.