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कंपनी की तरफ से मिलने वाले इंश्योरेंस कवर की ये होती हैं विशेषता, जानिए?

3 May 2019 | 12.03 PM

नई दिल्ली: ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योरेंस (GTL) एक ऐसा बीमा है, जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों को उपलब्धै कराता है। यह सिर्फ एक साल की पॉलिसी होती है, जिसे हर साल रिन्यू किया जाता है। एक कर्मचारी होने के नाते आपको इस इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ महत्वतपूर्ण बातें आपको जरूर जाननी चाहिए। कोई कंपनी या फर्म अपने कर्मचारियों को लाइफ इंश्योंरेंस की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ दूसरे कारणों से भी ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योारेंस उपलब्धा कराती है। अपने कर्मचारियों को लाइफ कवर उपलब्धल कराने के लिए कई कंपनियां ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योरेंस का ऑप्शन चुनते हैं।

कंपनी में पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को पॉलिसी जारी होने की तारीख से कवर मिलता है और नए कर्मचारियों को नियुक्ति की तारीख से कवर मिलता है। प्रत्येक कंपनी अपने हिसाब से कर्मचारियों को लाइफ कवरेज प्रदान करता है।

कुछ ऑर्गेनाइजेशन फ्लैट कवर की पेशकश करते हैं जैसे प्रति कर्मचारी 5 लाख रुपये। कुछ ऑर्गेनाइजेशन अलग-अलग कवर देने का ऑप्शन चुनते हैं जैसे कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपये, मैनेजमेंट के लिए 10 लाख रुपये और बड़े अधिकारियों के लिए 15 लाख रुपये आदि।

कई संगठन अपने कर्मचारियों को उसकी सालाना सीटीसी के आधार पर लाइफ कवर उपलब्धप कराते हैं। जैसे किसी कर्मचारी का सीटीसी 5 लाख रुपये है तो इसका तीन गुना यानी कि लगभग 15 लाख रुपये तक का कवर दिया जाएगा।
कई बड़े संगठन कर्मचारियों को लाइफ और हेल्‍थ इंश्यो रेंस कवर के तौर पर दी जाने वाली राशि का उल्लेख करते हैं। जिनका उल्लेख कर्मचारियों को दिए गए अप्वा्इंटमेंट लेटर में होता है ताकि कर्मचारी इनका लाभ उठा सकें।

ग्रुप के आकार, ग्रुप की औसत आयु, सम एश्योर्ड, पिछली मृत्यु दर का अनुभव और अन्य कारकों के आधार पर इंश्योरेंस कंपनी प्रीमियम तय करती है। ऑर्गेनाइजेशन प्रीमियम भरता है और उसे एक मास्टर पॉलिसी जारी की जाती है।प्रीमियम का भुगतान ऑर्गेनाइजेशन करता है जो कि बिजनेस के खर्च में शामिल है। इसलिए कर्मचारी अपने ऊपर जीवन बीमा के लिए दिए गए प्रीमियम पर टैक्स में छूट का लाभ नहीं उठा सकते हैं। प्रत्येक ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी आम तौर पर फ्री कवर लिमिट या बिना मेडिकल लिमिट के साथ आती है। ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योरेंस में की यह खूबी काफी अलग है। इस लिमिट को औसत आयु, ग्रुप के आकार और कुल सम एश्योर्ड के आधार पर तय किया जाता है।

लिमिट के अंदर आने वाले कर्मचारी अपने आप कवर हो जाते हैं। लिमिट से बाहर वाले कर्मचारियों से स्वास्थ्य को लेकर सवाल किए जाते हैं, अच्छे स्वास्थ्य की पुष्टिकरण पर साइन करवाए जाते हैं या फिर मेडिकल टेस्ट के लिए कहा जाता है।

जो कर्मचारी इन बातों पर खरा नहीं उतरता है उसे लाइफ कवर से वंचित नहीं रखा जाता है। लेकिन उसका लाइफ कवर फ्री कवर सीमा के अंदर रहता है। जैसे एक संगठन कर्मचारियों को 10 लाख रुपये फ्री कवर लिमिट दे रहा है, लेकिन कर्मचारी 50 लाख रुपये के कवर के लिए हकदार है और मेडिकल टेस्ट में फेल हो जाता है तो उसका लाइफ कवर 10 लाख रुपये हो जाएगा। ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत नौकरी में रहते हुए अगर कर्मचारी का निधन होता है तो नॉमिनी को बीमा कंपनी तय राशि का भुगतान करती है।

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