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आपकी गाड़ी में लगा पार्ट्स चोरी का तो नहीं, ऐसे करें पता...

31 July 2019 | 11.48 AM

नई दिल्ली:अक्टूबर के बाद बनने वाले सभी वाहनों के प्रमुख पार्ट्स में QR कोड जरूरी हो जाएगा और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय सितंबर महीने में इस बारे में सभी वाहन निर्माताओं को निर्देश जारी करेगा। इसके बाद वाहन निर्माताओं को अक्टूबर से बनने वाले हर नए वाहन के सभी पार्ट्स पर एक QR कोड देना होगा और यह कोड सामान्य तौर पर नहीं दिखेगा और इसे सिर्फ अल्ट्रावालेट किरणों की मदद से देखा, जाचां जा सकेगा ताकि वाहन की पहचान मालिक के साथ हो सके। लेकिन, अगर किसी वाहन का पार्ट्स चोरी करके दूसरे वाहन में लगाया गया होगा तो इसी की मदद से चोरी पकड़ ली जाएगी।

सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम के चलते वाहनों के पार्ट्स की चोरी रुकेगी और हर साल देश में 2.5 लाख से अधिक वाहनों की चोरी होती है। इनमें से करीब आधे वाहनों के पार्ट्स निकालकर दूसरे वाहनों में लगाए जाते हैं। बता दें, वाहनों के इंजन और चैसी के अलावा किसी दूसरे पार्ट्स की पहचान नहीं की जा सकती क्योंकि सिर्फ इन्हीं पार्ट्स पर नंबर दर्ज होते हैं। बता दें, इन दिनों चोरी के पार्ट्स वाले वाहन छोटे से लेकर बड़े शहरों में धड़ल्ले से चलते हैं।

मैन्युफैक्चरर्स वाहनों के महंगे पार्ट्स पर QR कोड प्रिंट करेंगे और इस कोड में इंजन और चैसी का नबंर दर्ज होगा। वाहनों की बिक्री के बाद रजिस्टर्ड करते समय वाहन मालिक के साथ-साथ चैसी और इंजन का नंबर भी दर्ज किया जाता है।

पुलिस अधिकारी और परिवहन को अगर किसी ऐसे वाहन के पार्ट्स पर चोरी का शक होता है तो अल्ट्रावायलेट किरणों की मदद से बार कोड स्कैन करके वाहन के पार्ट्स की जांच कर सकेंगे। इस स्कैन के साथ गाड़ी की चैसी और इंजन नंबर भी आ जाएगा और ये नंबर परिवहन विभाग के वाहन सॉफ्टवेयर में दर्ज करके वाहन मालिक का आसानी से पता लगाया जा सकेगा।

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