12 February 2019 | 12.03 PM
मुंबई: इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ITAT) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई टैक्सपेयर अगर एक से ज्यादा फ्लैट्स की बिक्री से प्राप्त लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCGs) से देश के अंदर तय समयसीमा में एक आवासीय मकान खरीदता है तो उसे टैक्स छूट का फायदा दिया जाएगा। अपीलेट ट्राइब्यूनल के इस फैसले से मुंबई के टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। इसके साथ ही अगर किसी न्यायक्षेत्र में इस भावना के विपरीत कोई न्यायिक आदेश पारित नहीं हुआ हो, तो वहां के टैक्सपेयर्स भी मुंबई ट्राइब्यूनल के फैसले का हवाला देकर अपना पक्ष मजबूत कर पाएंगे। दरअसल, टैक्सपेयर प्रायः दो घरों को बेचकर एक बड़ा घर खरीदते हैं।
टैक्सपेयर की दलील में दम
इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने टैक्सपेयर की इस दलील पर रजामंदी जताई कि आईटी ऐक्ट के सेक्शन 54 के तहत एक आवासीय मकान को बेचने से प्राप्त कैपिटल गेंस से देश में एक से ज्यादा रिहायशी मकान खरीदने पर पाबंदी है। हालांकि, एक से ज्यादा रेजिडेंशल हाउसेज की बिक्री से प्राप्त कैपिटल गेंस से एक मकान खरीदने पर कोई पाबंदी नहीं है।
क्या है सेक्शन 54?
दरअसल, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 54 से विवाद पैदा होता है। यह सेक्शन कहता है कि अगर निवेश देश में तय समयसीमा के अंदर एक घर की खरीद में किया गया हो तो एलटीसीजी का एक हिस्सा टैक्स फ्री हो जाता है।
ट्राइब्यूनल ने कहा...
इस पर आईटीएटी ने कहा, 'सेक्शन 54 का प्रावधान किसी भी संख्या में रिहायशी मकानों की बिक्री से प्राप्त कैपिटल गेंस से एक मकान खरीदने पर लागू होता है, बशर्ते यह सही तरीके से तय समयसीमा में किए जाएं।' संयोग से इस बार के अंतरिम बजट में भी अतिरिक्त राहत प्रदान की गई है। इसमें देश में दो घरों में निवेश का प्रस्ताव रखा गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल जीवन में एक बार ही किया जा सकता है।
LTCG और टैक्स
एक से ज्यादा मकान बेचकर एक नई रेजिडेंशल प्रॉपर्टी में निवेश पर टैक्स छूट के दावे को खारिज किए जाने के कई उदाहरण देखे गए हैं। गौरतलब है कि अगर किसी ने कम-से-कम दो साल अपने मालिकाना हक में रखने के बाद रेजिडेंशल हाउस को बेच दिया हो तो बिक्री से हुए लाभ को एलटीसीजी माना जाता है। इस लाभ पर इंडेक्सेशन बेनिफिट देकर 20% का टैक्स वसूला जाता है।