6 December 2019 | 1.07 PM
रियल एस्टेट सेक्टर पिछले 4-5 वर्षों से सुस्ती से गुजर रहा है। IL ऐंड FS संकट से बैंकिंग सिस्टम में फंड की कमी होने के बाद 2019 में सेक्टर की मुसीबतें और बढ़ गईं। कोलियर्स (इंडिया) के CMD संकेय प्रसाद ने कहा, 'फंड की कमी होने के कारण NBFC ने खरीदारों और रियल एस्टेट डिवेलपर्स को कर्ज देने में कमी की है।' कइयों की शिकायत है कि IL ऐंड FS संकट के बाद बैंकों ने हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों और हाउसिंग डिवेलपर्स को दिए लोन वापस ले लिए। रियल एस्टेट का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सीमेंट, स्टील, टाइल्स, पेंट, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, फर्निशिंग जैसे सेक्टरों पर असर पड़ता है। इन सभी ने सरकार से राहत उपायों की मांग की थी। दो महीने पहले सरकार ने रुके हुए रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स को रिवाइव करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था। इसे ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (AIF) के जरिए दिया जाएगा, जिसमें सरकार की 10,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी होगी। बचे हुए 15,000 करोड़ रुपये LIC और SBI जैसे वित्तीय संस्थान देंगे। इस फंड को SBI कैप वेंचर्स संभालेगा।
क्या सरकारी पैकेज से मदद मिलेगी?
रियल एस्टेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स को राहत पैकेज से फायदा मिलने की उम्मीदें हैं। नारेडको के प्रेसिडेंट (नेशनल) और हीरानंदानी ग्रुप के MD निरंजन हीरानंदानी ने बताया, 'मुझे इस कदम से बड़ी उम्मीदें हैं। फंड की कमी के कारण पांच लाख से अधिक अपार्टमेंट अटके पड़े हैं।' ठप पड़े प्रॉजेक्ट्स में ज्यादातर मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) और नैशनल कैपिटल रीजन (NCR) के हैं।
सरकार की तरफ से मिलने वाली 25,000 करोड़ रुपये की राशि इस सेक्टर को सीड कैपिटल के तौर पर दी जाएगी। सरकार ने इसके इस्तेमाल को लेकर कई कड़े नियम बनाए हैं, ताकि निवेश किया गया पैसा उसे वापस मिल सके। AIF से केवल उन प्रॉजेक्ट्स को कर्ज मिलेगा जो पूरे होने वाले हैं और जिनकी नेटवर्थ पॉजिटिव है।
शहरों के मुताबिक दी जाने वाली राशि की सीमा भी तय की गई है - MMR के लिए दो करोड़ रुपये, अन्य मेट्रो के लिए 1.5 करोड़ रुपये और अन्य शहरों के लिए एक करोड़ रुपये। ऐनरॉक के डायरेक्टर और रिसर्च हेड प्रशांत ठक्कर ने बताया, 'कीमतों की सीमा तय होने से केवल 4.59 लाख हाउसिंग यूनिट को फायदा मिलने की उम्मीद है। इस कदम से NCR, चेन्नै और पुणे जैसे बाजारों को अधिक फायदा होगा।'
सप्लाई बढ़ने से दाम घटेंगे?
सरकारी उपाय से यूनिटों की सप्लाई तो बढ़ेगी, लेकिन घरों के दाम घटने की उम्मीद कम है। JLL इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और रिसर्च हेड (रियल एस्टेट इंटेलिजेंस सर्विसेज) सामंतक दास ने बताया, 'सप्लाई में होने वाली बढ़त अनसोल्ड इन्वेंटरी से होगी। पूरा होने के करीब पहुंच चुके ज्यादातर प्रॉजेक्ट पहले ही बिक चुके हैं।'
NCR जैसे मार्केट में रियल एस्टेट की कीमतों में पहले ही सुधार हो चुका है। समय के साथ अन्य बाजारों में भी (जहां दाम लंबे समय से स्थिर बने हुए हैं) कीमतें अपने सामान्य स्तर पर आएंगी। बिल्डर दाम में सीधे कटौती करने के बजाय भारी डिस्काउंट दे रहे हैं। आने वाले वर्षों में मांग बढ़ने की उम्मीद है। हाउसिंग डिमांड में खरीदारों की खर्च करने की क्षमता की अहम भूमिका होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ रही है। नाइट फ्रैंक इंडिया के CMD शिशिर बैजल ने बताया, 'कुल मिलाकर डिमांड अभी भी कमजोर बनी हुई है। हालांकि अफोर्डेबल और मिड सेगमेंट में मांग बढ़ रही है। प्राइस और टाइम करेक्शन के चलते अन्य शहरों में भी खर्च करने की क्षमता बढ़ रही है।'
मुंबई अभी भी सबसे महंगे बाजारों में से एक है। हालांकि वहां अफोर्डेबिलिटी में तेजी से इजाफा हुआ है। कई शहरों का होम प्राइस अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स (HPAI) पिछले आठ साल में बढ़ा है। HPAI के तहत हजार वर्ग फुट के फ्लैट की कीमत के 80 पर्सेंट के बराबर कर्ज पाने में ऐवरेज हाउसहोल्ड इनकम की क्षमता का आकलन किया जाता है। HPAI के 100 होने का मतलब होता है कि शहर का ऐवरेज बायर अपनी आय से घर खरीदने में सक्षम है। मुंबई का HPAI 2011 के 47 से बढ़कर 2019 में 90 पर आ गया है। शहर में घर अभी भी महंगे हैं, लेकिन ग्राहकों की खरीदने की क्षमता बढ़ी है।
तैयार फ्लैट अभी भी पहली पसंद
बड़े पैमाने पर प्रॉजेक्ट्स में देरी के चलते बायर नए प्रॉजेक्ट में बुकिंग कराने से बच रहे हैं। ज्यादातर लोग उन फ्लैट्स को तरजीह दे रहे हैं, जिनकी चाबी उन्हें तुरंत मिल सकती है। साथ ही, ज्यादातर खरीदार अपने इस्तेमाल के लिए फ्लैट खरीद रहे हैं और निवेशक खराब रिटर्न के चलते रियल एस्टेट मार्केट से बाहर निकल रहे हैं। दास ने बताया, 'पिछले कुछ सालों से सालाना कीमत 3 से 4 पर्सेंट की रेंज में बढ़ रही है। आने वाले दो-तीन सालों तक घरों की कीमतों में बढ़ोतरी के महंगाई दर से नीचे रहने की उम्मीद है। ऐसे में निवेशकों को लुभाने के लिए यहां कुछ भी नहीं है।'
रिवाइल प्लान से थोड़ा भरोसा जरूर बढ़ा है, लेकिन ज्यादातर एक्सपर्ट अभी भी तैयार घरों को खरीदने की सलाह दे रहे हैं। लियासेज फोरास के एमडी पंकज कपूर ने बताया, 'अगर आपकी जरूरतों के मुताबिक फ्लैट तैयार हैं, तो उन्हें ही खरीदिए क्योंकि इसमें किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा निर्माणाधीन फ्लैट पर आपको 5 पर्सेंट जीएसटी भी चुकाना पड़ सकता है।'
हालांकि अंडर-कंस्ट्रक्शन सेगमेंट को पूरी तरह नजरंदाज करने की कोई जरूरत नहीं है। बैजल ने बताया, 'RERA जैसे हुए हालिया सुधार, घर खरीदारों को क्रेडिटर्स के बराबर दर्जा देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जीएसटी दरों में कटौती ने निर्माणाधीन फ्लैट्स को काफी आकर्षक बना दिया है।' इसके अलावा निर्माणाधीन फ्लैट की बुकिंग के समय ज्यादा बड़ी डिस्काउंट डील पाने के मौके भी रहते हैं। प्रसाद ने बताया, 'सबसे पहली तरजीह तैयार प्रॉजेक्ट की दी जानी चाहिए, जिनके पास ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट समेत सभी जरूरी मंजूरियां हों। दूसरी तरजीह उन प्रॉजेक्ट को देनी चाहिए, जिनका काम लगभग पूरा (75 पर्सेंट से ज्यादा) हो गया हो और वे अच्छा डिस्काउंट ऑफर कर रहे हों।'
खरीदने से पहले कुछ चीजें ध्यान में रखें
निर्माणाधीन फ्लैट की खरीदारी ज्यादा जटिल और खतरों वाली है। ऐसे में बायर्स को इन्हें खरीदने से पहले कुछ चीजों को ध्यान में रखना चाहिए। नए प्रॉजेक्ट में बुकिंग से पहले आपको इन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए।
क्या प्रॉजेक्ट RERA के तहत रजिस्टर्ड है?
सिर्फ उन्हीं प्रॉजेक्ट में बुकिंग कराइए, जो RERA के तहत रजिस्टर्ड हैं। RERA उन्हीं प्रॉजेक्ट को मंजूरी देता है, जिनके पास सभी जरूरी मंजूरी (म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन, बिजली और जल विभाग) हों। हालांकि ये मंजूरियां सिर्फ निर्माण कार्य शुरू करने के लिए होती हैं।
क्या सभी जानकारियां मौजूद हैं?
RERA के तहत रजिस्टर्ड प्रॉजेक्ट का एक फायदा यह है कि इससे जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां RERA की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाती हैं। आवास चूंकि राज्य का मामला होता है, ऐसे में RERA को लागू करने की गुणवत्ता हर राज्य में अलग होती है। महाराष्ट्र ने RERA को उसकी मूल भावना के साथ लागू किया है, लेकिन बाकी राज्यों में ऐसा नहीं है। कई मामलों में RERA की वेबसाइट पर मौजूदा डेटा को अपडेट नहीं किया गया है क्योंकि बिल्डर जानकारी नहीं शेयर कर रहे हैं। CBRE इंडिया के रिसर्च हेड अभिनव जोशी ने बताया, 'अगर RERA की वेबसाइट पर प्रॉजेक्ट से जुड़ी जानकारी नहीं है, तो उससे दूर रहना ही उचित होगा।'
क्या बिल्डर वित्तीय रूप से मजबूत है?
इस गफलत में मत रहिए कि सिर्फ RERA में रजिस्टर्ड होने से आपको फ्लैट की चाबी बिना किसी दिक्कत के मिल जाएगी। जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है, RERA की मंजूरी सिर्फ प्रॉजेक्ट को शुरू करने के लिए होती है। इसके साथ बिल्डर को भी वित्तीय रूप से मजबूत होना चाहिए। प्रसाद ने बताया, 'बिल्डर की वित्तीय सेहत के अलावा खरीदारों को उसके दूसरे प्रॉजेक्ट की भी जांच करनी चाहिए।' जोशी ने बताया, 'पूरे हो चुके प्रॉजेक्ट बिल्डर के ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी देते हैं। आपको इसकी जांच करनी चाहिए कि क्या उन प्रॉजेक्ट को समय पर खरीदारों को सौंपा गया था।' दूसरे प्रॉजेक्ट को लेकर मुश्किलों में फंसे बिल्डरों से दूर रहना चाहिए। कपूर ने बताया, 'इसके अलावा NCLT मामलों में उलझे, अधिक उधारी और बड़ी संख्या में कंज्यूमर की शिकायतों का सामना कर रहे बिल्डरों से भी बचें। '
क्या आपने इलाका देखा है?
प्रॉजेक्ट के अंदर मौजूद सुविधाओं (स्विमिंग पूल, जिम आदि) के बारे में आपको बिल्डर जानकारी दे देता है। हालांकि खरीदारों को अपनी तरफ से भी कुछ कसरत करनी चाहिए। जोशी ने बताया, 'आप प्रॉजेक्ट साइट पर जाकर देखिए कि क्या फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर आपकी जरूरतों को पूरा करने वाला है। सिर्फ बिल्डर के ऑफिस में जाकर ही एग्रीमेंट मत साइन कर दीजिए।' इसके अलावा खरीदार को प्रॉजेक्ट के आस-पास के सामाजिक वातावरण को भी देखना चाहिए। चाहे आप प्रॉजेक्ट खुद के इस्तेमाल के लिए खरीद रहे हों या निवेश के लिहाज से, यह जरूर देखिए कि प्रॉजेक्ट के आस-पास कोई हॉस्पिटल, मॉल, स्कूल/कॉलेज और मनोरंजन के विकल्प मौजूद हैं या नहीं।
क्या डेडलाइन सही है?
RERA की वेबसाइट पर प्रॉजेक्ट पूरा होने की तारीख का जिक्र रहता है। इसके उल्लंघन पर RERA भारी जुर्माना लगाता है। इसलिए कई बिल्डर सुरक्षित दांव खेलने के लिए लंबी डेडलाइन देते हैं और खरीदारों को बताते हैं कि प्रॉजेक्ट डेडलाइन से पहले पूरा हो जाएगा। आपको इस जाल में फंसने से बचना चाहिए। आप RERA वेबसाइट पर दी गई डेडलाइन मुताबिक ही सौदेबाजी करें। बैजल का कहना है, ‘अगर आपको ऑफिशियल टाइमलाइन सही न लगे तो सौदा मत कीजिए। बिल्डरों से लंबी डेडलाइन मिलने की वजह से ही बहुत से लोग पजेशन के लिए तैयार अपार्टमेंट्स का रुख कर रहे हैं।’
प्रॉजेक्ट में प्रगति हो रही है?
होम बायर्स को खरीदारी से पहले यह भी चेक करना चाहिए कि प्रॉजेक्ट पर काम आगे बढ़ रहा है या नहीं। दास ने कहा, ‘सौदा करने से पहले दो से तीन महीने तक कंस्ट्रक्शन स्पीड चेक कीजिए।’ इस काम के लिए आप पहले बिल्डर से पूछ सकते हैं कि उसका अगले पांच महीनों का क्या प्लान है? यह चीज किसी एक फ्लैट नहीं, बल्कि पूरे कॉम्पलेक्स के लिए होनी चाहिए। फिर कुछ महीने बाद चेक करने पर पता चल जाएगा कि वह प्रॉजेक्ट पर प्लान के मुताबिक काम कर रहा है या फिर आपको झांसा दे रहा था।
कीमत तर्कसंगत है?
यह चीज सबसे सबसे जरूरी है कि आप जिस एरिया में फ्लैट खरीद रहे हैं, वह उस कीमत के लायक हो। इसके लिए कुछ ही पैमाने हैं। सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला फॉर्मूला रेंटल यील्ड और किराये व EMI का अनुपात है। कपूर बताते हैं, ‘अभी रेंटल यील्ड डाउन है, लेकिन अगर यह 3.5 पर्सेंट के आसपास है तो दाम वाजिब कहा जा सकता है।’ इसी तरह कुछ जगहों पर किराये के मुकाबले EMI चार गुने से ज्यादा है, जबकि 2002-04 के दौरान जब बाजार का हाल अच्छा था तो EMI और रेंट का अनुपात दो के करीब था। फिलहाल EMI और रेंट रेशियो के दो तक आने के आसार नहीं हैं, लेकिन इसे तीन के करीब रखने पर जोर देना चाहिए।
डिस्काउंट मांगा है?
किसी भी बिल्डर से डिस्काउंट की उम्मीद रखना वाजिब है क्योंकि आप अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट खरीदते वक्त बड़ा जोखिम लेते हैं। दास कहते हैं, ‘अभी रियल एस्टेट सेक्टर में खरीदार का पलड़ा भारी है क्योंकि बिल्डर डिस्काउंट देकर अनसोल्ड इनवेंटरी निकालना चाहते हैं। इसलिए अच्छी डील के लिए जमकर सौदेबाजी करें।’ हालांकि, डिस्काउंट की मात्रा तय करना मुश्किल है। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि खरीदार को लीडिंग डिवेलपर्स से करीब 10 पर्सेंट और मिडल लेवल बिल्डर से 20 पर्सेंट के आसपास डिस्काउंट की उम्मीद करनी चाहिए। यह डिस्काउंट रेंज उन प्रॉजेक्ट्स के लिए है, जहां 75 पर्सेंट से अधिक काम खत्म हो गया है। अगर प्रॉजेक्ट पूरा में ज्यादा वक्त है तो आपको ज्यादा डिस्काउंट भी मिल सकता है।
क्या इंडिपेंडेंट अडवाइजर है?
घर खरीदने में निवेश होने वाली रकम काफी ज्यादा होती है। यह कुछ शहरों में 1 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। इसलिए इंडिपेंडेंट एडवाइजर और लीगल एक्सपर्ट से सलाह-मशविरा करना बेहतर होता है। दास कहते हैं, ‘सभी दस्तावेजों की किसी अच्छे वकील से जांच करवानी चाहिए। इसके साथ ही स्ट्रक्चरल इंजिनियर की मदद से प्रॉजेक्ट की स्ट्रक्चर चेक करना भी अच्छा आइडिया है।’
भविष्य के डिवेलपमेंट प्लान क्या हैं?
ठाकुर कहते हैं, ‘चाहे आप रहने या फिर निवेश के लिए संपत्ति खरीदने जा रहे हों, आपको अपने क्षेत्र में आने वाले फ्यूचर डिवेलपमेंट पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आपकी संपत्ति की वैल्यू बढ़ेगी।’ ये डिवेलपमेंट मेट्रो कनेक्शन, नया हवाई अड्डा या आईटी पार्क या फिर शॉपिंग मॉल जैसे हो सकते हैं। बिल्डर प्रॉजेक्ट को अच्छे दाम पर बेचने के लिए आगे होने वाली सकारात्मक विकास योजनाओं के बारे में बता सकते हैं, लेकिन नकारात्मक चीजों के बारे में आपको खुद ही पता लगाना होगा। जोशी कहते हैं, ‘भविष्य की विकास योजनाओं के बारे में तफसील से जानकारी लेने के लिए होम बायर्स को दिल्ली में डीडीए जैसी जैसी डिवेलपमेंट अथॉरिटीज से संपर्क करना चाहिए।’