18 September 2019 | 12.00 PM
देश में जमीन को जल्द ही एक यूनीक आइडेंटिटी नंबर दिया जाएगा. इस कदम से जमीन के मालिकाना हक में गड़बड़ी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनीक लैंड पार्सल नंबर के सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह नंबर सर्वे किए गए हर एक प्लॉट को दिया जाएगा. यूनीक आइडेंटिटी नंबर में प्लॉट के साइज और मालिकाना हक के विवरणों सहित राज्य, जिला, तहसील, तालुका, ब्लॉक और सड़क की जानकारी होगी.
अधिकारी ने कहा कि यूनीक लैंड पार्सल नंबर को बाद में आधार और रेवेन्यू कोर्ट सिस्टम से लिंक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सरकार का मानना है कि सभी जमीनों को यूनीक आइडेंटिटी नंबर देने से रियल एस्टेट ट्रांजेक्शन में आसानी होगी. प्रॉपर्टी के टैक्सेशन से जुड़े मसलों में मदद मिलेगी. सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन का अधिग्रहण करना आसान होगा. यह लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में कदम होगा.
फीडबैक इंफ्रास्ट्रक्चर के चेयरमैन विनायक चटर्जी के अनुसार, "यह किसी इंसान को मिलने वाले आधार की तरह होगा. एक नंबर से प्लॉट की खरीद-बिक्री, टैक्स के भुगतान और मालिकाना हक से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी."
उन्होंने कहा कि सरकार लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन को लेकर अब आगे बढ़ रही है. यह GIS टैग्ड होने के कारण किसी भी जमीन के विवरण हासिल करना आसान हो जाएगा. ऐसा अनुमान है कि देश की अदालतों में लंबित मामलों में जमीन से जुड़े विवादों की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई की है.
ऐसे मामलों के समाधान में कई वर्ष लगते हें. इससे इन जमीनों पर निर्भर सेक्टर और प्रोजेक्टों पर असर पड़ता है. इसके अलावा लोन लेने के लिए अक्सर जमीन का इस्तेमाल जमानत देने की खातिर किया जाता है. जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद होने से ऐसी जमीन गिरवी नहीं रखी जा सकती. एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, "यूनीक आइडेंटिटी नंबर की लंबे समय से जरूरत है. इस सिस्टम को लागू करने से देश के लैंड रिकॉर्ड को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी. इससे देश के रियल्टी सेक्टर में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी, जो जमीनों के मालिकाना हक को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने से निवेश करने में हिचकते हैं." सरकार पहले ही प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के कंप्यूटराइजेशन और सभी लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन के लिए नेशनल लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम को लागू कर रही है.