11 July 2019 | 2.25 PM
नई दिल्ली: मकान मालिकों और किराएदारों के बीच होने वाले विवादों को कम करने और ज्यादा से ज्यादा संपत्तियों को किराए पर देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने मॉडल रेंटल एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस ड्राफ्ट में मकान मालिक और किराएदार दोनों के हितों का ख्याल रखा गया है।
दो महीने से ज्यादा का एडवांस किराया नहीं ले सकेंगे मकान मालिक
मॉडल किराएदारी एक्ट के ड्राफ्ट में सिक्युरिटी एडवांस पर पाबंदी लगाई गई है। ड्राफ्ट के अनुसार, कोई भी मकान मालिक दो महीने से ज्यादा का किराया सिक्युरिटी एडवांस के रूप में नहीं लेगा। ड्राफ्ट में कहा गया है कि यदि कोई किराएदार तय समय से ज्यादा मकान में रहता है तो उसे पहले दो महीने के लिए दोगुना किराया देना होगा। यदि वह दो महीने से ज्यादा समय तक रहता है तो उसे चार गुना किराया देना होगा। हाउसिंग और अर्बन मामलों के मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट को संबंधित पक्षों के पास सुझावों के लिए भेजा गया है। सुझाव मिलने के बाद एक्ट को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे मकान मालिक
ड्राफ्ट में किराएदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए कहा गया है कि मकान मालिक एग्रीमेंट की अवधि के मध्य अपनी मर्जी से किराए में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे। मकान मालिकों को किराए में बदलाव करने के लिए तीन महीने पहले नोटिस देना होगा। ड्राफ्ट में कहा गया है कि मकान मालिक को अपनी लेनदारी काटने के बाद किराया एग्रीमेंट की अवधि समाप्त होने के समय सिक्युरिटी मनी वापस करनी होगी। साथ ही कोई विवाद होने पर मकान मालिक किराएदार की बिजली और पानी आपूर्ति जैसी जरूरी सुविधाएं बंद नहीं करेगा।
मकान मालिकों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया मॉडल एक्ट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते समय राज्यों के लिए एक मॉडल रेंटल एक्ट लाने की बात कही थी। केंद्र सरकार के एक सर्वे के अनुसार, शहरों में इस समय करीब 1.1 करोड़ संपत्तियां केवल इसलिए खाली पड़ी हैं कि मकान मालिकों को किराएदारों से होने वाले विवादों का डर सताता है। मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, मकान मालिकों के डर को खत्म करने और उन्हें अपनी संपत्ति को किराए पर देने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह मॉडल एक्ट तैयार किया गया है।
मकान मालिक और किराएदार दोनों के हितों का रखा ख्याल
इस मॉडल रेंटल एक्ट में मकान मालिक और किराएदार दोनों के हितों का ख्याल रखा गया है। ड्राफ्ट में एक अलग रेंट अथॉरिटी की स्थापना करने की बात कही गई है। साथ ही राज्यों को विवादों का जल्द निपटारा कराने के लिए स्पेशल रेंट कोर्ट्स और रेंट ट्रिब्यूनल स्थापित करने का अधिकार दिया गया है।
रेंट एग्रीमेंट के बाद अथॉरिटी को देनी होगी सूचना
मॉडल रेंटल एक्ट में कहा गया है कि रेंट एग्रीमेंट होने के बाद मकान मालिक और किराएदार दोनों को अथॉरिटी को सूचना देनी होगी। रेंट एग्रीमेंट में मासिक किराया, किराए पर रहने की अवधि, मकान में आंशिक या मुख्य रिपेयर कार्य के लिए जिम्मेदारी आदि की जानकारी देनी होगी। विवाद होने की स्थिति में मकान मालिक या किराएदार कोई भी रेंट अथॉरिटी की शरण ले सकता है। यदि कोई किराएदार दो महीने तक किराया नहीं देता है तो मकान मालिक रेंट अथॉरिटी की शरण ले सकता है।