17 March 2018 | 1.00 PM
मुंबई: दिवालिया हुई कंपनियां सरकार का सबको सस्ता घर देने के सपने को पूरा करने में मदद कर सकती हैं। जानकारों का कहना है कि दिवालिया कंपनियों की उपयोग न हुई इंडस्ट्रीयल जमीन को अफोर्डेबल हाउजिंग में लगाया जा सकता है लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों की सहमति आवश्यक होगी। अगर किफायती आवास की योजनाएं ऐसी जमीनों पर बनती हैं तो लोन रिकवर करने के तरीके खोज रहे बैंकों के अलावा समाज के गरीब तबके को भी घर मिलने का फायदा होगा। पेच यह है कि इंडस्ट्रीयल जमीन का उपयोग आवासीय परियोजनाओं में नहीं हो सकता, इसीलिए सरकारों की सहमति जरूरी है।
आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप से सभी होमबायर्स को फ्लैट उपलब्ध कराने के प्लान को जमा करने का आदेश दिया है। एएए इन्सॉलवेंसी प्रफेशनल्स के फाउंडर अनिल गोयल ने कहा, 'दिवालिया हुई कंपनियों को अफोर्डेबल हाउजिंग में इस्तेमाल करना बैंकों, कंपनियों और समाज के गरीब तबकों समेत सबके लिए बेहतर होगा। सरकार भी अपने अफोर्डेबल हाउजिंग के टारगेट को पूरा कर पाएगी। कंपनी के वर्कर्स को भी घर ऑफर करने का विकल्प रहेगा।' सरकार का टारगेट 2022 तक सभी के लिए घर उपलब्ध कराने का है।
इस कदम से लोन देने वाले बैंकों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें औद्योगिक जमीन के लिए खरीददार मिल जाएंगे। महंगी इंडस्ट्रीयल जमीन को बेचना आसान नहीं होता। ऑल इंडिया इन्सॉलवेंसी प्रफेशनल्स असोसिएशन की सदस्य ममता बिनानी के मुताबिक, अगर ऐसा कदम उठाया जाता है तो उसका बड़ा आर्थिक असर होगा। इससे नौकरियां पैदा भी होंगी और उन्हें बचाया भी जा सकेगा। सालाना 1 से 5 लाख रुपये कमाने वाले लोगों के लिए 300 से 600 स्क्वेयर फीट का फ्लैट अफोर्डेबल हाउजिंग में बनाया जाता है।