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होम बायर्स के लिए खुशखबरी, रुके हुए हाउसिंग प्रॉजेक्ट के लिए कर्ज देंगे बैंक:

24 July 2018 | 12.04 PM

नई दिल्ली:  रुके हुए हाउसिंग प्रॉजेक्ट के पूरे होने की उम्मीद बढ़ गई है। बैंक उन हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के लिए लोन देने को राजी हो गए हैं, जो 60 या 70 फीसदी पूरे हो चुके हैं, लेकिन पैसे की कमी के कारण रुके हुए हैं। हालांकि बैंकों ने यह भी कहा है कि ऐसे हाउसिंग प्रॉजेक्ट पर काम फिर से शुरू करने के लिए एनबीसीसी या दूसरी सरकारी कंपनियां प्लान बनाएंगी और उसकी जिम्मेदारी लेंगी।


सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने होम बायर्स की परेशानी दूर करने के लिए बैंकों, रियल एस्टे्टस कंपनियों के प्रतिनिधियों और नीति आयोग के अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। इसके बाद बैंकों ने रुके हुए इन प्रॉजेक्ट्स की फंडिंग की बात कही है।


सरकार ने एनबीसीसी को अभी ऐसे प्रॉजेक्ट्स की लिस्ट बनाने को कहा है। इन प्रॉजेक्ट्स की कुल जमीन, कुल ग्राहक और कितनी राशि अब तक खर्च हो चुकी है, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। उसके बाद बिल्डर से बात की जाएगी और तब जाकर बैंकों के लोन से हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स पर काम शुरू किया जाएगा।


कैसे होगी रिकवरी

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, लोन की रिकवरी के लिए कई फॉर्म्युले बनाए गए हैं। एक प्रस्ताव यह भी है कि हाउसिंग प्रॉजेक्ट के पास अगर बिल्डर्स कंपनी की कोई जमीन है या कुछ जमीन खाली है तो उसका कमर्शल इस्तेमाल किया जा सकता है। बिल्डरों से इसका समझौता किया जाएगा कि प्रॉजेक्ट पूरा होने के बाद पजेशन देने से पहले होम बायर्स से जो राशि वसूली जाएगी, उस पर पूरा हक बैंकों का होगा।


होम बायर्स को होगा फायदा

रियल एस्टेट एक्सपर्ट एस पी सुरेश का कहना है कि जिन होम बायर्स के पैसे ऐसे प्रॉजेक्ट्स में फंसे हुए हैं, उन पर दोतरफा मार पड़ रही है। एक तो उन्हें लोन की ईएमआई देनी पड़ रही है, दूसरी तरफ उन्हें किराया भी देना पड़ रहा है। अगर उन्हें जल्द अपना घर मिलेगा तो वे इस दोहरी मार से बच जाएंगे।


पहले का प्लान

सरकार ने हाल में कहा था कि रुके हुए हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स को पूरा करने के लिए वह खुद फंड मुहैया करा सकती है और बाद में वह बिल्डर से इसकी वसूली करेगी। सरकार ने बिल्डर की संपत्ति बेचकर पैसा वसूलने की बात कही थी। फंडिंग के लिए प्रॉजेक्ट की पहचान सर्वे के जरिये की जाएगी। चुने हुए प्रॉजेक्ट्स की ऑडिटिंग होगी और लागत का अंदाजा लगाया जाएगा। प्रॉजेक्ट पूरा करने की जिम्मेदारी किसी एक सरकारी कंपनी को सौंप दी जा सकती है। प्रॉजेक्ट पूरा करने के साथ डिवेलपर से वसूली की प्रक्रिया भी जारी रहेगी।

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