11 May 2019 | 12.49 PM
क्या आपने अंडर-कंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट बुक कराया है? इसकी किस्तों का भुगतान कर रहे हैं? अगर हां तो आपके लिए जरूरी खबर है. आपके अंडर-कंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट की बची हुई किस्तों पर जीएसटी की देनदारी घट सकती है. अगर आपका बिल्डर नई व्यवस्था में शिफ्ट करता है तो आपकी ईएमआई पर जीएसटी घटकर 5 फीसदी पर आ जाएगी.
जीएसटी काउंसिल ने कुछ समय पहले कुछ शर्तों के साथ घरों पर टैक्स की दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है. किफायती घरों के मामले में इसे 8 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी किया गया है. हालांकि, सीमेंट, पेंट और स्टील जैसे इनपुट पर टैक्स क्रेडिट के फायदे को वापस लिया गया है. देखने में आया था कि बिल्डर इसका गलत फायदा उठा रहे थे. वे 12 फीसदी की फ्लैट दर से घरों पर टैक्स वसूल रहे थे. फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा ग्राहकों को नहीं देते थे.
अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (FAQ) के एक सेट में सरकार ने इस मसले पर सफाई दी है. उसने इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर को चुनने का विकल्प दिया है. ऐसे में बिल्डरों के पास अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट के बचे हुए हिस्से के लिए 5 फीसदी या 1 फीसदी की व्यवस्था में शिफ्ट करने का रास्ताे खुला है.
इस तरह अगर 31 मार्च तक आपने फ्लैट के मूल्य का 40 फीसदी दे दिया है और आपका बिल्डर नई व्यवस्था में जाने का फैसला करता है तभी आप नई दर के विकल्प को चुन सकते हैं.
हालांकि, अगर आपका बिल्डर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के साथ बना रहता हे तो सुनिश्चित कर लें कि टैक्स क्रेडिट का फायदा आपको शर्तिया मिले. तभी 12 फीसदी से कम दर का लाभ मिलेगा जीएसटी परिषद ने रीयल्टी कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर का विकल्प चुनने की समयसीमा को 10 दिन बढ़ाकर 20 मई कर दिया है. रीयल्टी कंपनियां अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्टों के लिए यह विकल्प चुन सकती हैं.
सरकार ने कहा है कि बिल्डरों के लिए वन-टाइम ऑप्शन होगा. अगर 20 मई तक वह अपने विकल्प को नहीं चुनते हैं तो वे अपने आप बगैर ITC की 5 फीसदी की दर वाली व्यवस्था में चले जाएंगे. किफायती घरों के मामलों में यह 1 फीसदी होगी.
इस बात को दोहराया गया है कि वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का 80 फीसदी पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं से लेना है.